सरकार पर फिर दबाव बनाने की कोशिश के तहत अन्ना हज़ारे ने चेतावनी दी कि अगर संसद के शीतकालीन सत्र तक मजबूत जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वह फिर से ‘अनशन-आंदोलन’ करेंगे.
जानें कौन हैं अन्ना हजारे
दिलचस्प रूप से, हज़ारे ने अपनी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए यह स्पष्ट किया कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां उनके आंदोलन के सदस्य कांग्रेस के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि वह जनता से सदाचारी को वोट करने और भ्रष्ट, गुंडों और लुटेरों को वोट नहीं देने की अपील करेंगे. हज़ारे ने ये बातें मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में कहीं. उन्होंने इस पत्र की प्रतियां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद को भी भेजी हैं.
फोटो: अन्ना के लिए सड़कों पर उतरे समर्थक
गांधीवादी कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री से कहा कि आपकी पार्टी और आपकी सरकार के जिम्मेदार लोग उलट पुलट बातें कहकर संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. यह बात ठीक नहीं है, मैंने फिर से निर्णय लिया है कि यदि जनलोकपाल विधेयक सदन में पारित नहीं किया गया तो मैं सत्र के अंतिम दिन से अपना अनशन आंदोलन फिर से शुरू करंगा और हमारी टीम लोकशिक्षा के लिये कई राज्यों के दौरे पर निकल जायेगी. गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच प्रस्तावित है.
अन्ना के आंदोलन पर विशेष कवरेज
हज़ारे ने कहा कि पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मैं कोई पक्ष और पार्टी का नाम नहीं लेते हुए मतदाताओं से सदाचारी लोगों को वोट करने के लिये कहूंगा. लोगों को भ्रष्ट, गुंडे, लुटेरे लोगों को वोट नहीं देने के लिये कहूंगा. मेरी आपसे विनती है कि दिये हुए आश्वासन के मुताबिक शीतकालीन अधिवेशन में जनलोकपाल कानून लायें. सरकार ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि हज़ारे-पक्ष क्यों बार-बार चेतावनी दे रहा है, जबकि केंद्र ने निरंतर यह घोषणा की है कि वह जल्द से जल्द लोकपाल विधेयक लाने के लिये प्रतिबद्ध है.
जानें क्या है जन लोकपाल?
सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में दिल्ली में कहा कि हिसार में भी टीम अन्ना ने राजनीतिक अभियान चलाया था और तब भी कहा था कि वे आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सहित सभी ने कहा है कि हम ताकतवर लोकपाल विधेयक चाहते हैं, सरकार को मजबूर करने की जरूरत नहीं है. अंबिका ने कहा कि स्थायी समिति इस मुद्दे पर तीव्रता से विचार कर रही है. शक्तिशाली लोकपाल विधेयक लाना हमारी प्रतिबद्धता है. ऐसे में टीम अन्ना की चेतावनी का क्या मतलब है.
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अन्ना हज़ारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में याद दिलाया कि उन्होंने 16 अगस्त को रामलीला मैदान में शुरू हुए अनशन को प्रधानमंत्री से लिखित आश्वासन मिलने के बाद खत्म किया था. यह पत्र केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने उन्हें सौंपा था. हज़ारे ने कहा कि आंदोलन रूक जाये इसलिये आपकी तरफ से केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख जी ने रामलीला मैदान में आकर लिखित आश्वासन दिया था कि आने वाले शीतकालीन सत्र में सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिये जनलोकपाल विधेयक के रूप में एक कठोर कानून बनवायेगी तब तक आप हमें समय दें.
गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि आपके आश्वासन के कारण मैंने आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दरमियान दौरा करने की योजना को रद्द कर दिया था. अभी भी मैं विश्वास कर रहा हूं कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक कठोर जन लोकपाल विधेयक आने वाला है. हजारे ने प्रधानमंत्री से कहा कि यदि जनलोकपाल विधेयक सदन में पारित नहीं किया गया तो मैं सत्र के अंतिम दिन से अपना अनशन फिर से शुरू करंगा.