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सवालों से बचने के लिये अन्‍ना ने धारण किया मौन व्रत: दिग्विजय

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज आरोप लगाया कि हिसार उपचुनाव में कांग्रेस का खुलकर विरोध करने वाले गांधीवादी अन्ना हजारे ने इसलिये ‘मौन व्रत’ धारण किया है ताकि उन्हें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा और अपनी टीम के सदस्य प्रशांत भूषण से जुड़े प्रकरण पर कुछ नहीं बोलना पड़े.

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दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज आरोप लगाया कि हिसार उपचुनाव में कांग्रेस का खुलकर विरोध करने वाले गांधीवादी अन्ना हजारे ने इसलिये ‘मौन व्रत’ धारण किया है ताकि उन्हें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा और अपनी टीम के सदस्य प्रशांत भूषण से जुड़े प्रकरण पर कुछ नहीं बोलना पड़े.

 

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सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि हजारे ने इसलिये मौन व्रत धारण कर लिया है ताकि वह येदियुरप्पा या प्रशांत भूषण के बारे में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने से बच सकें.
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उन्होंने हजारे पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं आश्चर्यचकित हूं कि हजारे यह क्यों नहीं स्वीकार करते कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्थन प्राप्त है और उसके कार्यकर्ताओं ने हजारे के भ्रष्टाचार रोधी अभियान के दौरान तमाम इंतजाम किये थे.

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सिंह ने कहा कि संघ के एक पदाधिकारी ने अपने कार्यकर्ताओं को हजारे के अभियान का समर्थन करने के लिये लिखित निर्देश जारी किये थे. ऐसे ही निर्देश बाबा रामदेव के आंदोलन के लिये भी जारी किये गए थे.

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उन्होंने कहा कि एक तरफ हजारे अपने अनशन के दौरान एक भी संघ कार्यकर्ता के मौजूद नहीं होने का दावा करते हैं. वहीं संघ के पुराने कार्यकर्ता गोविंदाचार्य कह रहे हैं कि अनशन स्थल पर मौजूद 20 प्रतिशत कार्यकर्ता संघ के थे. ये दोनों ही बयान एक साथ सच नहीं हो सकते.

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दिग्विजय ने कहा कि अगर हजारे यह कहते हैं कि उन्हें अपने आंदोलन को संघ से समर्थन मिलने की जानकारी नहीं है तो उनकी टीम के सदस्यों ने अनशन मंच से भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को धन्यवाद क्यों दिया. साथ ही यह क्यों नहीं कहा कि गोविंदाचार्य का दावा गलत है.

उन्होंने कहा कि जब हजारे ने अपना अनशन समाप्त किया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को जन लोकपाल के दायरे में लाने का मुद्दा छोड़ दिया था. उसके बाद से सरकार ने आखिर ऐसा कौन सा निर्णय ले लिया, जो हजारे ने हिसार उपचुनाव में कांग्रेस का विरोध करने का एलान कर डाला. सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति हजारे को सियासत में धकेलना चाहते हैं.

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उन्होंने कहा कि मैंने हजारे को पूर्णत: गैर राजनीतिक हैसियत से पत्र लिखा था, जिसका उन्होंने आठ पृष्ठों में सियासी जवाब दिया. इससे जाहिर होता है कि वह राजनीतिक लोगों से घिर चुके हैं.

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सिंह ने कहा कि क्या यह मुमकिन है कि कोई एक व्यक्ति किसी भ्रष्टाचार की शिकायत लिखने से लेकर अभियोजन तक की कार्यवाही को लोकतांत्रिक ढंग से कर सके. ऐसा पूरी दुनिया में कहीं नहीं हो सकता. यह पहलू आम लोगों के सामने लाए जाने चाहिये. उन्होंने कहा कि लोकपाल का मामला संसद की स्थायी समिति के पास है और सरकार एक मजबूत लोकपाल चाहती है.

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सिंह ने कश्मीर को लेकर टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण के बयान को बिल्कुल गलत बताते हुए कहा कि इस बात की परख की जानी चाहिये कि वह बयान राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है या नहीं.

उन्होंने भूषण पर हमले की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि इस वारदात को अंजाम देने वाले लोग भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य हैं.

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