नई दिल्ली में यूं तो सबकुछ चकाचक है, बाकी दिल्ली से सुविधाओं में भी बेहतर और यहां पर रहने वाले भी वीवीआईपी की श्रेणी में आते हैं. प्रधानमंत्री से लेकर दिल्ली की मुखिया शीला दीक्षित भी यहीं रहती हैं. इसलिए बिजली के दाम पर भी सबसे ज़्यादा मेहरबानी यहीं दिखाई जाती है.
जहां बाकी दिल्ली में पहले 200 यूनिट के लिए 3 रुपए 70 पैसे कीमत रखी गई वहीं इस स्लैब में नई दिल्ली में रहने वाले सिर्फ 3 रुपए 10 पैसे की कीमत चुकाएंगे. दूसरे स्लैब यानि 200 से 400 यूनिट के लिए आम दिल्ली वाला 4 रुपए 80 पैसे भरेगा वहीं नई दिल्ली में रहने वाले वीआईपी सिर्फ 4 रुपए 10 पैसे देंगे. 400 से ऊपर यूनिट के लिए जहां पूरी दिल्ली में 6 रुपए 40 पैसे की दर तय की गई है वहीं नई दिल्ली के लिए महज 5 रुपए 15 पैसे.
बात बस इतनी भर नहीं है आम दिल्ली और नई दिल्ली के अंतर की ही नहीं है. बल्कि बिजली के दाम के मुद्दे पर दिल्ली को दो फाड़ करने की है. यानी जिनकी जेब में कम पैसा है वो ज़्यादा बिल चुकाएं और जो पैसे वाले हैं वो कम.
बिजली की कीमतों में अंतर का सवाल पहेली सा लगता है. इसलिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यालय तक को इस पर सफाई देनी पड़ी है. सीएम ऑफिस कहता है कि नई दिल्ली को सरकारी रेट पर सस्ती बिजली मिलती है, इसलिए वो फायदे में है, वहीं नई दिल्ली में चोरी के तौर पर बिजली कम बर्बाद होती है. इस सफाई के बाद भी आम दिल्ली वाला यही सवाल पूछ रहा है कि जब पूरी दिल्ली में एक ही सरकार है तो नई दिल्ली का फायदा बस उसका कैसे हुआ.