देश से जब तक भ्रष्टाचार खत्म नहीं होता तब तक लोगों को सही स्वतंत्रता नहीं मिलेगी. यह बात भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कही. गुवाहाटी में भ्रष्टाचार विरोधी रैली को संबोधित करते हुए 72 वर्षीय गांधीवादी नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और देश में जनलोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग के साथ ही भारत के दूसरे स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई है.
आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई के नेतृत्व में आयोजित कृषक मुक्ति संग्राम समिति की रैली में हजारे ने कहा, ‘हम किस बात के स्वतंत्र हैं ? हम किससे स्वतंत्र हैं ? 1947 में सिर्फ अंग्रेज शासकों को बाहर निकाला गया लेकिन भ्रष्टाचार, लूट, गुंडई को नहीं निकाला गया.’ उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक के लिये जंतर मंतर पर उपवास के दौरान वह युवा वर्ग से काफी प्रेरित हुए.
उन्होंने लोगों खासकर युवकों से कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिये ‘जेल भरो आंदोलन’ शुरू करें. उन्होंने कहा, ‘सरकार सतर्क हो जाएगी और आप स्वतंत्रता प्राप्त करेंगे जिसका हमारा देश हकदार है. सरकार लोगों से डरी हुई है क्योंकि चुनावों में वे इसे गिरा सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के एक नेता के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने के लिये मुझे अवमानना के आरोप में तीन महीने जेल में रहना पड़ा. हिरासत में रहने के पांच दिनों के अंदर जब देश मेरे समर्थन में खड़ा हुआ तो सरकार चिंतित हो गई और मेरी रिहाई का आदेश दे दिया.’ हजारे ने कहा, ‘सूचना का अधिकार विधेयक को लागू करने के लिये मैंने 12 दिनों का उपवास किया और अंतत: राष्ट्रपति को कानून पर अपनी सहमति देनी पड़ी.’