सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के उम्र विवाद मामले में कानूनी लड़ाई के लिए अपने को तैयार करते हुए सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से जनरल की याचिका पर कोई फैसला देने से पहले उसका पक्ष भी सुनने का अनुरोध किया.
रक्षा मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट (आपत्ति सूचना) दाखिल की है. मंत्रालय ने अपने कैविएट में न्यायालय से अनुरोध किया है कि उम्र विवाद मामले में सरकार का पक्ष सुनने के बाद ही वह जनरल की याचिका पर कोई आदेश जारी करे. जनरल सिंह द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेने के एक दिन बाद रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की.
माना जाता है कि दोनों नेताओं ने उम्र विवाद के मुद्दे पर बातचीत की. जानकार सूत्रों ने बताया कि महान्यायवादी जी.ई. वाहनवती से मिलने के बाद एंटनी ने दोपहर बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की. वहीं, जनरल सिंह ने अपने जन्म सम्बंधी दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि उनका जन्म 1951 में हुआ था और इस तरह उन्हें मार्च 2013 में सेवानिवृत्त होना है.
रक्षा मंत्रालय में मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि जनरल सिंह वर्ष 1950 में पैदा हुए और इस हिसाब से मार्च 2010 में सेना प्रमुख बनने वाले सिंह को इस वर्ष के मई महीने में सेवानिवृत्त होना है. इस बीच, उम्र विवाद में सेना प्रमुख के साथ कानूनी लड़ाई बढ़ती देख रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सचिव शशिकांत शरमन को मलेशिया से वापस बुलाया है. शशिकांत आधिकारिक दौरे पर मलेशिया गए हैं.
उम्र विवाद मसले पर रक्षा मंत्रालय की योजना क्या है, इस बारे में सरकार ने कोई ब्योरा देने से इनकार किया है. सेना प्रमुख द्वारा इस मुद्दे पर सरकार को अदालत में घसीटने पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, 'यदि किसी को लगता है कि उसे न्याय नहीं मिला है, तो उसे न्याय पाने का अधिकार है और यह सभी भारतीयों का अधिकार है.' उन्होंने केवल इतना कहा, 'यदि वह अदालत गए हैं तो मैं इस पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकती.'
उन्होंने यह भी कहा, 'इसे मुद्दा या विवाद बनाना बड़ा मुश्किल है और मुझे इसे लेकर डर है. सैन्य बलों के साथ हम हमेशा सम्मानजनक व्यवहार करते हैं.' उम्र विवाद में इससे पहले जनरल सिंह ने रक्षा मंत्रालय में वैधानिक शिकायत दर्ज कर आधिकारिक रिकॉर्ड में अपने जन्म का वर्ष ठीक करते हुए इसे 1950 के बजाय 1951 करने का अनुरोध किया था.
लेकिन मंत्रालय ने दिसम्बर में इसे खारिज कर दिया था, जिसके बाद सोमवार को उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया. स्वतंत्रता के बाद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब कोई सेना प्रमुख सेवा में रहते हुए सरकार के खिलाफ अदालत गया हो.