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पीएसी के समक्ष उपस्थित होंगे थल सेना और वायु सेना प्रमुख

सेना की कैंटीन स्टोर्स में सामानों की आपूर्ति में कथित अनियमितता के मामले में संभवत: पहली बार थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष बुधवार को उपस्थित होना होगा.

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सेना की कैंटीन स्टोर्स में सामानों की आपूर्ति में कथित अनियमितता के मामले में संभवत: पहली बार थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष बुधवार को उपस्थित होना होगा.

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थल सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह और वायु सेना प्रमुख पी वी नाइक ने कहा है कि वे भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाले पीएसी के समक्ष उपस्थित होंगे.

नौसेना का प्रतिनिधित्व उपाध्यक्ष डी के दीवान करेंगे क्योंकि नौसेना प्रमुख निर्मल वर्मा चार दिन की यात्रा पर इंडोनेशिया गए हैं. उनकी यात्रा रविवार से शुरू हुई है.

सशस्त्र बलों ने अपने रुख पर कायम रहने का फैसला किया है कि उनकी यूनिट द्वारा संचालित कैंटीन (यूआरसी) पीएसी के दायरे से बाहर है.

नाइक ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम अब भी कहते हैं कि यूआरसी उनके दायरे से बाहर है. यह बुनियादी मुद्दा है जिसपर मेरा अनुमान है कि सुनवाई या पूछताछ होगी. हमने अपना जवाब उन्हें दिया है और देखते हैं क्या होता है.’ सेना प्रमुख ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित होंगे.

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{mospagebreak} सिंह ने कहा था, ‘हमें पीएसी के समक्ष उपस्थित होने में कोई समस्या नहीं है. हम रक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं. मैं 12 जनवरी को पीएसी के समक्ष उपस्थित होउंगा.’

मंत्रालय के स्तर पर हो रही जांच के बारे में नाईक ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उस दिशा में आगे क्या हुआ. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि मंत्रालय की जांच में सचाई का पता लगा लिया जायेगा क्योंकि यह बात एकदम साफ है कि जो व्यक्ति दस्तखत करता है, फाइल उसके पास होनी चाहिये.

सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के इन आरोपों पर कि अर्धसैनिक बल के लिये दो नये विमानों की खरीद करने से संबंधित एक दस्तावेज पर उनके जाली हस्ताक्षर किये गये थे, नाईक ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि जांच का क्या नतीजा रहा और हम जल्द ही आपको इस बारे में बतायेंगे.’

भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ संबंधी रिपोर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि वह इस घटना विशेष के बारे में अवगत नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने कहा, ‘ऐसी बातें होती रहती हैं. हिमपात के दौरान हमारे लोग भी एक किलोमीटर इधर से उधर हो जाते हैं. इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.’

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