इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने इंडिया टुडे माइंड रॉक्स समिट 2012 का उद्घाटन करते हुए कहा, 'जब हम पिछली बार मिले थे तो हवा में क्रांति की एक महक थी. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई बस एक कानून की दूरी पर था, हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी तरह आगे बढ़ रही थी. हालांकि बहुत घोटाले उजागर हुए थे लेकिन फिर भी सरकार और प्रशासन में विश्वास बरकरार था.
लेकिन आज हमारी विकास दर गिरती जा रही है और साथ ही हमारे यहां नौकरियों के अवसर भी कम होते जा रहे हैं. हमारी वैश्विक शक्ति बनने की तमन्ना जैसे एक मजाक बन गई है. अब आपके सामने ऐसी परिस्थितियां हैं कि एक राज्य का व्यक्ति दूसरे राज्य में बिना डरे नहीं रह सकता.
आज भ्रष्टाचार की दुर्गंध पूरे देश में व्याप्त है. हर जगह घोटाले नजर आते हैं. भ्रष्ट नेताओं, कुटिल ब्यूरोक्रेट्स और धूर्त व्यापारियों ने लगातार इस देश के साथ बलात्कार किया है. हम रूस से अलग नहीं हैं जहां राज्य प्रायोजित पूंजीवाद सामान्य है.
आज के अखबारों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोलगेट छोड़कर दो और छोटी खबरें हैं जो हमारी व्यवस्था कितनी सड़ चुकी है, इसे दर्शाती हैं. एक खबर है दिल्ली की 895 अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की. क्या आपको पता है कि इन अवैध कॉलोनियों में 50 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जिन्हें वहां नहीं होना चाहिए था. ये सिंगापुर या नॉर्वे जैसे देशों की आबादी के बराबर है.
उन्होंने कहा कि जब ये कॉलोनियां बन रहीं थीं तब हमारी वो संस्थाएं क्या कर रही थीं जिनके जिम्मे ये काम है. ये सब एमसीडी अधिकारियों, पुलिस और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से हुआ है. 'हम गलती की सजा नहीं देते बल्कि उसका जश्न बनाते हैं.' और हम सब जानते हैं कि इन कॉलोनियों को क्यों नियमित किया जा रहा है.
दूसरी खबर और ज्यादा चौंकाने वाली है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बेल्लारी से 50 लाख टन से ज्यादा लौह अयस्क का ना केवल अवैध खनन हुआ बल्कि वहां से 400 किलोमीटर दूर स्थित एक बंदरगाह से इसका निर्यात भी कर दिया गया. ऐसा करने के लिए कम से कम ट्रक के 5 लाख फेरे लगाने की जरूरत पड़ी होगी. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर ये काम हुआ तो भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक पहुंच चुका है.
क्या यह वही भारत है जो हम चाहते थे? मुझे ऐसा नहीं लगता. क्या इससे आपको गुस्सा नहीं आता? मुझे यकीन है कि आप खुद को इस दुनिया के नागरिक मानते होंगे और दुनिया में कहीं भी काम करना चाहेंगे. आपके सपनों और उम्मीदों की कोई सीमा नहीं है. अगर आपको कोई नौकरी नहीं मिलती या फिर आपकी नौकरी छूट जाती है तो आप कोई नया कारोबार करने की सोचने लगेंगे.
मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना है आप सब आशावादी हैं, मल्टी टास्कर्स हैं, नई तकनीक में रुचि रखने वाले, परिणाम देने वाले, विविधता का लुत्फ उठाने वाले और चुनौतियों को पसंद करने वाले हैं. आपलोगों को बस एक अनुकूल माहौल चाहिए जिससे आपकी ऊर्जा और सृजनात्मकता को सही दिशा मिल सके. आप चाहते हैं कि आपकी आवाज भी सुनी जाए.
आज जो सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस देश की राजनीति और राजनेता युवाओं से पूरी तरह से कट गए हैं. आज हमारे ऊपर वो लोग शासन कर रहे हैं जो इस बारे में कम ही सोच पाते हैं कि भारत क्या बन सकता है.
दूसरे देशों के नेताओं पर नजर डालिए. बराक ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो वो 47 वर्ष के थे और अगर वो दोबारा चुन लिए जाते हैं तो उनकी उम्र 51 वर्ष होगी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री 46 वर्ष के हैं. यहां तक कि चीन जहां उम्र को खासी तवज्जो दी जाती हैं उसके भी दोनों भावी नेता राष्ट्रपति शी जिन पिंग और प्रधानमंत्री ली केक्यांग क्रमश: 57 और 59 वर्ष के रहेंगे जब वो अक्टूबर में सत्ता संभालेंगे. एक और देश जहां उम्र की पूजा की जाती है- जापान जिसके प्रधानमंत्री योशीहिको नोडा की उम्र भी 54 वर्ष है.
हमें भी प्रशासन में युवाओं की जरूरत है. हमारे प्रधानमंत्री की उम्र 80 साल है और उनका स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा नहीं है और हमारी कैबिनेट की औसत उम्र 65 वर्ष है जबकि हमारे देश की औस उम्र 25 साल है. मुझे यकीन है कि युवा इस देश में बदलाव लाएंगे इसलिए वर्तमान परिस्थितियों से युवाओं को निराश नहीं होना चाहिए. अभी भी उम्मीद बाकी है.
इंडिया टुडे यूथ समिट आपको मौका देता है कि आप बदलाव के अगुवा लोगों से मिलें और उनसे अपने सवाल पूछें. साथ ही कुछ ऐसे लोगों से मिलें जिन्होंने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपने जीवन में सफलता हासिल की. इस यूथ समिट में शामिल युवा चेहरे आपको प्रेरित करेंगे और आपको बताएंगे कि कैसे हमारी सरकार के उम्रदराज होने के बावजूद हमारा जज्बा कैसे युवा है. ये आपको बताएंगे कि गुजरे समय में चाहे जो कुछ भी हुआ हो लेकिन हमारा भविष्य उज्वल है.