सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अरुणा राय ने योजना आयोग के उस विचार की आलोचना की जिसमें आयोग ने कहा कि 'जन वितरण सेवाओं' के लिए गरीबी की उसकी परिभाषा का उपयोग किया जाना चाहिए.
योजना आयोग की परिभाषा के मुताबिक गरीब वह है जो रोजाना 26 रुपये से कम खर्च करता है.
राय ने एक बयान में कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को पेश किए गए हलफनामे में योजना आयोग ने कहा है कि जन वितरण सेवाओं के लिए 26 रुपये रोजना की गरीबी सीमा का उपयोग होना चाहिए.’
राय ने कहा कि सरकार की गरीबों के प्रति सहानुभूति नहीं होने का पता चलता है.
उन्होंने कहा कि गरीबों की संख्या को कृत्रिम तौर पर घटाने के लिए ऐसा किया गया है ताकि सरकार को कम खर्च करना पड़े.