टीम अन्ना का दूसरा चाणक्य है अरविंद केजरीवाल. केजरीवाल जानते हैं कि लोगों को भ्रष्टाचार के मुद्दे से कैसे जोड़ना है और आज अन्ना के साथ इतना बड़ा जन समर्थन शायद केजरीवाल की वजह से ही है.
सारा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एकजुट होकर खड़ा है, जी हां आम जनता में पनप रहे इस आक्रोश को समझा टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने. बचपन से समाजसेवा का शौक रखनेवाले केजरीवाल को शायद जनता के बीच सुलग रहे गुस्से की पूरी समझ है.
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हम आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल को 1992 में सिविल सर्विसेज क्वालिफाई करके आईआरएस बने इनकम टैक्स ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर पहुंच कर उन्हें ये एहसास हुआ कि भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है और उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का फैसला कर लिया. केजरीवाल ने जनवरी 2000 में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए परिवर्तन नाम की एक संस्था कायम की.
2006 में केजरीवाल ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से परिवर्तन से जुड़ गए. अब केजरीवाल का नाम किसी के लिए अनजान नहीं है, और अन्ना हज़ारे के साथ उनका नाम अन्ना के मुख्य सलाहकार के तौर पर जुड़ा है. 16 अगस्त को हुई अनशन पर बैठने से पहले ही अन्ना और सिविल सोसायटी के कोर सदस्यों के साथ केजरीवाल को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा गया. अन्ना के किसी भी फैसले में केजरीवाल सबसे आगे रहते हैं. केजरीवाल की खासियत ये है कि वो पॉलिसी करप्शन को बखूबी समझते हैं. साथ ही केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बने अधिनियिम आरटीआई यानी राइट टू इनफॉरमेशन से भी जुड़े हैं.
अरविंद केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि वो पहले डॉक्टर बनकर समाजसेवा करना चाहते थे लेकिन उनके कुछ दोस्तों ने कहा कि मेडिकल में सीट्स कम होती हैं. इंजीनियरिंग में ज़्यादा होती हैं तो उन्होंने आईआईटी को चुना. आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद केजरीवाल ने पहली ही दफा में यूपीएससी क्वालिफाई कर गए लेकिन उनकी मंजिल ये नहीं थी क्योंकि उनके जीवन का मकसद था समाज सेवा.
अब कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि आज सिविल सोसायटी यानी टीम अन्ना क्यों इस कदर मज़बूत है. क्यों भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अन्ना का आंदोलन जन जन का आंदोलन बनता नजर आ रहा है.