अन्ना हजारे के अपने टीम का विघटन करने के बाद पहली बार उनकी पूर्ववर्ती टीम ने दिल्ली में अपना कार्यक्रम आयोजित किया. राजनीतिक विकल्प के घोषणा के बाद हुए घेराव प्रदर्शन में फिजां बदली बदली सी नजर आई.
इसी महीने की शुरूआत में केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ एसआईटी की जांच की मांग के लिए अन्ना और उनकी पूर्ववर्ती टीम के आमरण अनशन के दौरान मंच पर लगी तस्वीरों में संप्रग सरकार के 14 मंत्री सहित प्रधानमंत्री निशाने पर थे, वहीं इस बार लगी तस्वीर में प्रधानमंत्री तो थे ही लेकिन उनके कैबिनेट मंत्रियों के चेहरे गायब थे.
उनके स्थान पर मंच पर लगे पोस्टर में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी सहित राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा की वसुंधरा राजे सिंधिया, छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के चेहरे थे.
मंच पर तस्वीर का मामला विघटित टीम की रणनीति से भी जुड़ा था और यही वजह थी कि भाजपा को निशाने पर लेने के मामले में अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के बीच मतभेद खुल कर सामने आ गए.
भाजपा के सवाल पर भिन्न राय रखने वाली कभी टीम अन्ना की वरिष्ठ सदस्य रहीं बेदी पूरे आयोजन से नदारद रहीं.
अब तक अन्ना के नेतृत्व में आंदोलन का बिगुल फूंकने वाले अरविंद केजरीवाल जब अपने समर्थको के साथ कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, नितिन गडकरी का आवास घेरने निकले तो उनके समर्थकों ने ‘मैं हूं अरविंद’ लिखी टोपी पहन रखी थी.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल से जारी आंदोलन में अन्ना हजारे के समर्थक ‘मैं हूं अन्ना’ टोपी पहनते आ रहे हैं जो उनके प्रशंसकों में खासी लोकप्रिय है.
इस बाबत पूछे जाने पर अन्ना हजारे की विघटित टीम के सदस्य केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने इसे गलत ठहराया और समर्थकों से अपील की कि वे इसे उतार दे.
केजरीवाल ने कहा कि अन्ना हजारे भले ही यहां न हो लेकिन यह पूरी लड़ाई उनके ही नेतृत्व में लड़ी जा रही है. उन्होंने कहा कि वे यह नहीं जानते कि किन लोगों ने यह टोपी पहनी है लेकिन वे उनसे इसे उतारने की अपील करते हैं.