महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने विवादास्पद आदर्श सोसाइटी के प्रति कथित तौर पर अनुचित कृपा दृष्टि दिखाई और उसकी प्रबंध समिति के सदस्यों से कहा कि असैनिकों को 40 फीसदी फ्लैटों का आवंटन करने की अनुशंसा करे.
यह बातें आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी में कही गई हैं. इस मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी का ब्योरा मंगलवार को सामने आया.
प्राथमिकी में कहा गया है कि महाराष्ट्र का राजस्व मंत्री रहने के दौरान वह अन्य आरोपियों आर सी ठाकुर, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एम एम वांचू और कांग्रेस नेता के एल गिडवाणी के साथ कथित तौर पर आपराधिक साजिश का हिस्सा बन गए क्योंकि उन्होंने तीनों को पेशकश की कि वे एक प्रस्ताव पारित करें जिसमें सोसाइटी के 40 फीसदी फ्लैट असैनिकों को देने की अनुशंसा हो.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि चव्हाण ने अपने रिश्तेदारों के लिए फ्लैट हासिल करने की परोक्ष मंशा से अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने साल 2009 में मनोरंजन मैदान के लिए 15 फीसदी रियायत दे दी. पिछली सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी. {mospagebreak}
संपर्क किए जाने पर चव्हाण ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह अब भी प्राथमिकी की औपचारिक प्रति मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सीबीआई ने आदर्श हाउसिंग घोटाले में महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति के लिए केंद्र से संपर्क किया है. उस अधिकारी ने कथित तौर पर निर्धारित मानकों का पालन किए बिना भवन की ऊंचाई बढ़ाने की मंजूरी दे दी थी.
प्राथमिकी में 1978 बैच के आईएएस अधिकारी जयराज मोरेश्वर फाटक के नाम का भी 13 आरोपियों की सूची के बाद उल्लेख है. एजेंसी ने कहा कि उन्हें इसलिए आरोपी के तौर पर नामित नहीं किया गया है क्योंकि वह संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी हैं और उसके लिए एजेंसी को केंद्र से अनुमति लेने की आवश्यकता है.
फाटक के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने वृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आयुक्त के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान एक सितंबर 2007 को इमारत की ऊंचाई 97 मीटर से बढ़ाकर 107 मीटर करने को मंजूरी दी थी. वह महानगर में ऊंची इमारतों को देखने वाली समिति के अध्यक्ष थे और एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने समिति के अन्य सदस्यों से ऊंचाई बढ़ाने का उल्लेख भी नहीं किया. {mospagebreak}
सीबीआई ने उल्लेख किया है कि उनके पुत्र कनिष्क फाटक को सोसाइटी में एक फ्लैट दिया गया है. प्राथमिकी में छह सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों का नाम शामिल हैं. ये हैं लेफ्टिनेंट जनरल पी के रामपाल, मेजर जनरल टी के कौल, ए आर कुमार, ब्रिगेडियर वांचू और आर सी शर्मा तथा कर्नल टी के सिन्हा. उनपर आरोप है कि वे सेना के हितों की रक्षा करने में विफल रहे.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि ठाकुर, वांचू और गिडवाणी मुख्य षड्यंत्रकारी हैं जिन्होंने अवैध तरीके से उस भूमि को लिया जो उनकी नहीं थी और मेजर जनरल कुमार तथा ब्रिगेडियर शर्मा ने अपनी आधिकारिक शक्ति का दुरुपयोग किया और धोखाधड़ी तथा बेईमानी से नगर के जिलाधिकारी को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया. उन्होंने कहा कि भूमि सेना की नहीं बल्कि राज्य सरकार की है. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि जनरल रामपाल ने शर्मा और कुमार की ओर से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र पर कोई आपत्ति नहीं जताई. जनरल कौल ने लोकसभा को गलत सूचना दी कि भूमि सेना की नहीं है और बदले में उन्होंने सोसाइटी में एक फ्लैट हासिल किया.