दिन भर किचकिच के बाद खेल मंत्रालय ने आखिरकार एशियाई चैम्पियन्स ट्रॉफी जीतने के लिए भारतीय हॉकी टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को 1.5 लाख रुपये देने की घोषणा की है.
इससे पहले हमारे हॉकी खिलाडि़यों ने हॉकी इंडिया की इंसेटिंव राशि लेने से इनकार कर दिया था. पाकिस्तान को हराकर एशियन चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाने वाली भारतीय हॉकी टीम के खिलाडि़यों को हॉकी इंडिया ने 25 हजार रुपये इंसेंटिव राशि के रूप में देने की घोषणा की थी.
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खिलाडि़यों को इतना कम इंसेंटिव नागवार गुजरा और उन्होंने इंसेंटिव के तौर पर दी जाने वाली इस रकम को ठुकरा दिया था. हमारे देश में खेलों की क्या हालत है उसका अंदाजा लगाना अब और भी आसान हो गया है. एक तरफ क्रिकेटरों पर तो पैसों और ईनामों की बारिश कर दी जाती तो दूसरी ओर हमारे राष्ट्रीय खेल को पूछने वाला कोई नहीं है.
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हमारे हॉकी खिलाडि़यों की माली हालत किसी से छुपी नहीं है. ज्यादातर हॉकी खिलाड़ी गरीब पृष्ठभूमि से हैं जिन्हें पैसों की सख्त दरकार है. लेकिन ना तो हॉकी इंडिया और ना ही केंद्र सरकार इनकी सुध लेती है.
क्रिकेट वर्ल्डकप जीतने वाली टीम इंडिया के खिलाडि़यों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने पैसों और प्लॉट जैसे ईनाम जमकर लुटाए. लेकिन अब जब हॉकी टीम एशियाई चैंपियन बनकर लौटी है तो उन सरकारों ने चुप्पी साध रखी है. सवाल उठता है कि क्या सरकार हॉकी को वाकई राष्ट्रीय खेल समझती भी है?