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डीआरएस पर अपनी शर्तों पर सहमत हुआ बीसीसीआई

भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने क्रिकेट में टेक्नोलोजी के इस्तेमाल पर अपना कड़ा रवैया आखिरकार छोड़ दिया. बीसीसीआई आईसीसी वाषिर्क बैठक में अपनी शर्तों पर विवादस्पद निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के संशोधित स्वरूप को सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य रूप से लागू करने पर सहमत हो गया है.

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भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने क्रिकेट में टेक्नोलोजी के इस्तेमाल पर अपना कड़ा रवैया आखिरकार छोड़ दिया. बीसीसीआई आईसीसी वाषिर्क बैठक में अपनी शर्तों पर विवादस्पद निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के संशोधित स्वरूप को सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य रूप से लागू करने पर सहमत हो गया है.

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डीआरएस के संशोधित स्वरूप को बैठक के दूसरे दिन आईसीसी मुख्य कार्यकारियों की समिति (सीईसी) ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी. इसमें हॉट स्पॉट टेक्नोलोजी तो होगी लेकिन इसमें हॉक आई नहीं होगी जिससे गेंद की दिशा का पता चलता है. इसका मतलब है कि डीआरएस में एलबीडब्ल्यू के फैसले शामिल नहीं होंगे. डीआरएस के अनिवार्य नियम और शर्तों में अब ‘थर्मल इमेजिंग’ और ‘साउंड टेक्नोलोजी’ शामिल होगी.

पहले गेंद की दिशा पता करने के लिये उपयोग में लाया जाने वाला ‘बाल ट्रैकर’ भी इसमें शामिल था लेकिन इसे हटाने पर सहमति बन गयी है. डीआरएस के नये स्वरूप को आईसीसी सीईसी ने कार्यकारी बोर्ड के पास मंजूरी के लिये भेज दिया है जो कल इस पर अंतिम मुहर लगाएगा.

हॉट स्पॉट, जो कि एक ‘थर्मल इमेजिंग टेक्नोलोजी’ है, अब क्रिकेट मैचों में उपलब्ध रहेगा और उसे डीआरएस में अनिवार्य बना दिया गया है. इनका उपयोग मुख्य रूप से करीबी कैच और बल्ले का किनारा लेकर जाने वाली गेंद के लिये किया जाता है.

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बीसीसीआई ने कहा कि वह संशोधित डीआरएस पर सहमत हो गया है जिसमें हॉट स्पॉट तो होगा लेकिन बॉल ट्रैकर नहीं. उसने कहा कि आईसीसी की मुख्य कार्यकारियों की समिति इस पर सहमत हो गयी है कि द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में दोनों बोर्ड की सहमति पर ‘बाल ट्रैकर’ का उपयोग किया जा सकता है.

बोर्ड के सचिव और भावी अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने बयान में कहा, ‘बीसीसीआई निर्णय लेने की प्रणाली में टेक्नोलोजी को शामिल करने पर सहमत हो गया है. इसमें इंफ्रा रेड कैमरे और आडियो ट्रैकिंग उपकरण शामिल हैं.’ बयान के अनुसार, ‘बीसीसीआई हमेशा खेल की भलाई के लिये टेक्नालोजी को अपनाने की इच्छा जाहिर करता रहा है.

हालांकि वर्तमान की बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलोजी, जिस पर कि डीआरएस आधारित है, ‘बोर्ड को स्वीकार्य नहीं है.’ बीसीसीआई ने कहा, ‘हांगकांग में चल रही आईसीसी सीईसी बैठक में बीसीसीआई के दृष्टिकोण को समर्थन किया गया. सीईसी ने इसके साथ निर्णय लेने के लिये गेंद की दिशा का पता लगाने के लिये टेक्नोलोजी के उपयोग का भी फैसला किया लेकिन यह भागीदार टीमों के बीच द्विपक्षीय व्यवस्था पर निर्भर करेगा.’

बयान के अनुसार, ‘सीईसी ने वन डे में असफल रेफरल की संख्या दो से घटाकर एक करने की क्रिकेट समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है.’ इस फैसले का मतलब है कि भारत 2008 के बाद पहली बार द्विपक्षीय श्रृंखला में फिर से डीआरएस के उपयोग करने पर सहमत हुआ है. इस तरह से भारत के इंग्लैंड दौरे में इसका उपयोग किया जाएगा. हालांकि इस श्रृंखला में यह हॉक आई बाल ट्रैकर के बिना उपयोग किया जाएगा जिसका मतलब है कि इसमें एलबीडब्ल्यू के फैसले शामिल नहीं होंगे.

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भारतीय क्रिकेट बोर्ड शुरू से ही डीआरएस का विरोध करता रहा है. उसका मानना है कि यह शत प्रतिशत सही नहीं है. सीनियर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी कहा कि यदि डीआरएस में हॉट स्पॉट टेक्नोलोजी को शामिल किया जाता है तो यह अधिक स्वीकार्य होगा.

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