पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बजट सत्र के दौरान बढोतरी किये जाने के खिलाफ एक मंच पर आये वाम और कुछ अन्य गैर भाजपाई दलों ने एक बार फिर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढोतरी के विरोध में पांच जुलाई को 12 घंटे की राष्ट्रव्यापी हडताल करने का ऐलान किया है.
चारों वाम दलों के अलावा अन्नाद्रमुक, तेदेपा, सपा, बीजद, जद एस और इनेलोद ने पांच जुलाई को हडताल का फैसला किया है. माकपा, भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड ब्लाक की ओर से जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गयी है.
वाम नेताओं ने कहा कि वे सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक चलने वाली हडताल में शामिल होने के लिए कुछ अन्य धर्म निरपेक्ष पार्टियों से भी बात कर रहे हैं. माकपा महासचिव प्रकाश कारात, भाकपा महासचिव ए बी बर्धन, फारवर्ड ब्लाक नेता देवब्रत बिस्वास और आरएसपी नेता टी जे चंद्रचूडन द्वारा हस्ताक्षरित इस बयान में कहा गया, ‘‘खाद्यान्न मुद्रास्फीति लगभग 17 प्रतिशत के स्तर पर है और सामान्य मुद्रास्फीति दर दोहरे अंक में पहुंच गयी. इससे आम आदमी पर असहनीय बोझ पडा है.’’{mospagebreak}
वाम नेताओं ने कहा कि पेट्रोल, डीजल, कैरोसिन और एलपीजी की कीमतों में बढोतरी तथा पेट्रोल की कीमत के विनियमन के साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने एक और क्रूर फैसला किया है. इन दलों ने कहा कि सरकार इस बढोतरी को जायज ठहराने के लिए फालतू तर्क दे रही है और जनता की बात सुनने से इनकार कर रही है. अब एक ही रास्ता रह गया है कि जनता सामूहिक आंदोलन कर सरकार को कीमतों में बढोतरी को वापस लेने के लिए विवश करे.
बयान में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण नहीं कर पाने के लिए सरकार की आलोचना की गयी है. वाम दलों ने कहा कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. उन्होंने कहा कि जलापूर्ति, दुग्ध आपूर्ति, बिजली, अस्पताल और आपात सेवाओं सहित सभी आवश्यक सेवाओं को हड़ताल के दायरे से बाहर रखा जाएगा.