प्रस्तावित साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक को ‘‘खतरनाक’’ बताते हुए भाजपा ने राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में इसका कड़ा विरोध किया. उसने कहा कि विधेयक यह मानकर चल रहा है कि साम्प्रदायिक दंगों के लिए हमेशा बहुसंख्यक समुदाय ही जिम्मेदार होता है.
तस्वीरों में देखें 10 सितंबर 2011 की खबरें | पढ़ें
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में विज्ञान भवन में शनिवार को हुई परिषद की बैठक में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक एक खतरनाक बिल है, क्योंकि यह संविधान के संघीय ढांचे को क्षति पंहुचाने वाला है. यह केन्द्र को सारी शक्तियां सौंपता है.’’
आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या: मनमोहन | LIVE अपडेट
उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह विधेयक किसी को नागरिक के रूप में स्वीकार नहीं करता है, बल्कि हर व्यक्ति को बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में देखता है.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, भाजपा एवं राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसी आधार पर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा बनाए गए इस विधेयक का विरोध किया.
आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती: पीएम
भाजपा ने यह साफ कर दिया कि इस विधेयक को इसके वर्तमान प्रारूप में संसद में हरगिज नहीं लाने दिया जायेगा.
सुषमा ने कहा, ‘‘आप किसी व्यक्ति को महज़ इसलिए अपराधी करार दे देंगे कि वह बहुसंख्यक समुदाय में जन्मा है और किसी व्यक्ति को केवल इसलिए पीड़ित मान लिया जाएगा, क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय में पैदा हुआ है. यह विधेयक खतरनाक है.’’
उन्होंने आगाह किया कि अगर यह विधेयक वर्तमान प्रारूप में पारित हो गया तो इससे साम्प्रदायिक तनाव कम होने की बजाए और बढ़ेगा, क्योंकि यह देश को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय में बांटने का प्रयास है.