2जी स्पेक्ट्रम घोटाले संबंधी नए खुलासों के बावजूद गृह मंत्री पी चिदंबरम में पूर्ण विश्वास जताने के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रुख पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने उनसे जानना चाहा कि ऐसा वह इस भय से तो नहीं कर रहे कि इस मामले में भड़की आग कहीं उनके कार्यालय तक नहीं पहुंच जाए.
उसने कहा कि आज़ादी के बाद के सबसे बड़े घपले के ‘सहअपराधी’ का बचाव करने की बजाए उसे बर्खास्त करके उसके खिलाफ निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच के आदेश दिए जाने चाहिए थे.
चिदंबरम मामले में सरकार पर दबाव बनाए रखते हुए भाजपा की ओर से उसके मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदंबरम की सहअपराधिता दर्शाने वाले वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए ‘नोट’ के बावजूद गृह मंत्री में पूर्ण विश्वास जताना आश्चर्यजनक है.’
उन्होंने कहा कि यह माना जा सकता है कि इन दिनों जेल में बंद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा का बचाव करना प्रधानमंत्री की ‘गठबंधन धर्म मजबूरी’ रही हो, ‘लेकिन चिदंबरम का बचाव करने की उनकी कौन से धर्म की मजबूरी है, यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए.’
सीबीआई पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए प्रसाद ने कहा, वह पूर्व वित्त मंत्री जसवंत सिंह से पूछताछ करने को तत्पर है, जिसका 2जी घोटाले से दूर-दूर का लेना देना नहीं है, लेकिन चिदंबरम से जवाब तलब नहीं करना चाहती जिसके खिलाफ इस मामले में सुबूतों का अंबार है.
प्रधानमंत्री को उन्होंने आगाह किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के बढ़ते गुस्से के बावजूद अगर उन्होंने चिदंबरम को बर्खास्त नहीं किया और उनका बचाव करना जारी रखा तो उनकी सरकार को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.