यूपी चुनाव में पिछड़ों का वोट बटोरने के लिए बीजेपी में मायावती के दागी पूर्व मंत्री बाबू कुशवाहा को आनन फानन में शामिल कराया गया लेकिन जल्द ही पार्टी को एहसास हो गया कि बीएसपी के कीचड़ से कमल खिलने वाला नहीं है.
फैसले पर आडवाणी आगबबूला हो गए तो अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश हो रही है. बीएसपी के कीचड़ में कमल खिलाने चली थी बीजेपी लेकिन अपने ही घर में लग गई आग. मायावती के दागी पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी में शामिल तो कर लिया लेकिन फिलहाल पार्टी दो खेमों में है.
सूत्रों की मानें तो बड़े बीजेपी नेता आगबबूला हैं. कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने से उन्हें यूपी चुनाव में जबरदस्त नुकसान का डर सताने लगा है. वो आशंका जाहिर कर रहे हैं कि राज्य में होने वाले चुनावों में 'चौथे नंबर पर चली जाएगी बीजेपी, बीजेपी की साख को लगा झटका, कार्य़कर्ताओं में हैं जबरदस्त रोष. वहीं बाबू सिंह कुशवाहा से हमदर्दी रखनेवाले नेता नुकसान भरपाई में जुटे हैं.
जब बड़े नेताओं ने आगाह किया तो बीजेपी ने नुकसान भरपाई की कोशिश में और भी नेताओं को उतार दिया. लेकिन क्या इस सफाई से बीजेपी की कथनी करनी में फर्क पर उठे सवाल बंद होंगे? विपक्ष बीजेपी की बखिया उधेड़ने में जुट गया है.
विपक्ष को हमले का मौका बीजेपी ने खुद ही दिया है. लेकिन यहां सवाल सिर्फ सियासी हमलों या आरोपों प्रत्यारोपों का नहीं है. सवाल ये भी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में रथयात्रा निकालने वाली बीजेपी क्या चुनाव आते ही ऐसे रंग बदल लेगी?