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येदियुरप्पा को लेकर पसोपेश में है भाजपा नेतृत्व

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बागी तेवरों के आगे नरम पड़ते हुए भाजपा आलाकमान उन्हें राज्य में होने जा रहे पंचायती चुनावों तक अभयदान देने का मन बनाती नज़र आ रही है. उसे भय है कि येदियुरप्पा को हटाने से कहीं इन चुनावों में पार्टी को भारी खामियाज़ न न भुगतना पड़ जाए.

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बागी तेवरों के आगे नरम पड़ते हुए भाजपा आलाकमान उन्हें राज्य में होने जा रहे पंचायती चुनावों तक अभयदान देने का मन बनाती नज़र आ रही है. उसे भय है कि येदियुरप्पा को हटाने से कहीं इन चुनावों में पार्टी को भारी खामियाज़ न न भुगतना पड़ जाए.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘येदियुरप्पा को हद से हद पंचायत चुनाव संपन्न होने तक समय दिया जा सकता है. हम अभी किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पंहुचे हैं. कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों में येदियुरप्पा का अच्छा आधार है, जहां लिंगायत मतदाता उनके समर्थक हैं.’ येदियुरप्पा के बेटों को राज्य में बेशकीमती शहरी भूमि आवंटन में अनियमिताएं बरतने का मामला उछलने पर पार्टी आलाकमान ने उनसे इस्तीफा देने को कहा था लेकिन वह बागी तेवर अपनाते हुए अभी तक उसे टालते आ रहे हैं.

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टूजी स्पेट्रम और आदर्श हाउसिंग सोसायटी आदि घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने का सरकार पर दबाव बनाए हुए भाजपा येदियुरप्पा को हटाने को लेकर पसोपेश में है. उन्हें नहीं हटाने से भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ चलाई जा रही उसकी घेराबंदी कमजोर पड़ती है तो दूसरी ओर हटाने से राज्य में होने जा रहे पंचायती चुनाव में घाटा उठाने का खतरा हो सकता है.{mospagebreak}

येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं जो कर्नाटक के मतदाओं का 19 प्रतिशत है. इसके अलावा राज्य के कुछ धार्मिक संप्रदायों के संत भी खुल कर उनके समर्थन में आ गए हैं. इससे भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व जल्दबाजी करने से बचने का प्रयास कर रहा है. वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में से अधिकतर का मानना है कि सरकार पर अगर भ्रष्टाचार के मामले में नैतिक दबाव बनाए रखना है तो येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाना चाहिए.

दूसरी ओर कर्नाटक के कुछ भाजपा सांसदों ने आज वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज से भेंट कर येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाए रखने का आग्रह किया.

बताया जाता है कि आडवाणी ने इस सांसदों से कहा कि येदियुरप्पा के बारे में अंतिम निर्णय करने का अधिकार भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को सौंप दिया गया है.

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मामले के सामाधान के प्रयास में अरूण जेटली और एम वेंकैया नायडु ने आज सुबह येदियुरप्पा से बातचीत की.

कल दिल्ली पंहुचे येदियुरप्पा सार्वजनिक रूप से ‘नरम-गरम’ दोनों रूख अपनाए हुए हैं. पार्टी आलाकमान के निर्णय को मानने की बात करने के साथ वह यह भी कह रहे हैं कि उन्हें 110 से 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

वह यह दावा भी कर रहे हैं कि आलाकमान ने उनसे इस्तीफा देने को नहीं कहा है और केन्द्रीय नेतृत्व उनके इन दावों पर चुपी साधे हुए है.

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