कालेधन के संदर्भ में आये वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयानों को पूरी तरह से टाल-मटोल भरा और अस्पष्ट बताते हुए भाजपा ने कहा कि सरकार में उन लोगों के नाम जाहिर करने की इच्छाशक्ति नहीं है, जिन्होंने अपना कालाधन विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है.
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह विडंबना है कि कालेधन और स्विस बैंक सहित दुनिया भर के बैंकों में भारतीयों की जमा राशि के बारे में आज वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की ओर से आया सरकार का बहुप्रतीक्षित बयान न न सिर्फ टाल-मटोल के रवैये को दर्शाता है, बल्कि यह पूरी तरह से अस्पष्ट भी है.’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कालेधन की गंभीर समस्या का मुद्दा उठाया था तो शुरुआत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे चुनावी हथकंडा करार दिया था. यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि आडवाणी उन लोगों को सतर्क कर रहे हैं जिनके विदेशी खातों में कालाधन जमा है.
प्रसाद ने कहा कि बहरहाल, कांग्रेस ने इस मुद्दे की गंभीरता को पहचाना और अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा कि वह सत्ता में आने पर इस दिशा में 100 दिन के भीतर कदम उठायेगी.
उन्होंने कहा कि लेकिन करीब दो वर्ष बाद सरकार का रुख न सिर्फ टालने वाला है, बल्कि यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर ठोस तथा सार्थक तरीके से आगे बढ़ने की सरकार में इच्छाशक्ति ही नहीं है और वह देश को उन लोगों के नाम नहीं बताना चाहती जिन्होंने विदेशी बैंकों में अपना कालाधन छिपा रखा है.