बीजेपी ने रामलीला मैदान में किए गए पुलिसिया दमन के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए फिर से केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
भाजपा ने कहा कि संप्रग सरकार ‘ढांचागत अंतर्विरोध एवं अहंकार’ के बोझ से चरमराती जा रही है और इसके चलते यह 2014 तक के अपने निर्धारित कार्यकाल से पहले ही डूब सकती है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने ‘संप्रग सरकार की असफलताएं’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में कहा, ‘संप्रग सरकार ढांचागत अंतर्विरोध से जूझ रही है. यह दुनिया की शायद पहली सरकार है जिसका प्रधानमंत्री प्रमुख सत्तारूढ़ दल का स्वाभाविक नेता नहीं है, बल्कि एक परिवार उसे कंपनी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में प्रयोग कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि संप्रग का ढांचागत अंतर्विरोध यह है कि इसके प्रधानमंत्री के पास पद है लेकिन अधिकार नहीं. दूसरी ओर जिस परिवार के पास अधिकार हैं उसकी जवाबदेही नहीं है. इसीलिए अधिकारों का इस्तेमाल करने वाला यह परिवार उपलब्धियों का श्रेय खुद ले लेता है और सारी गड़बड़ियों के लिए अन्य को जवाबदेह बनाता है.
सरकार पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी कार्यशैली में अंहकार दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है और डर है कि कहीं यह अंहकार इसे 2014 से पहले ही न ले डूबे. इसका ढांचा दिनों दिन चरमराता जा रहा है.’
सोनिया गांधी को निशाना बनाते हुए जेटली ने कहा कि इस अंतर्विरोधी ढांचे में एक गुमान यह है भी है कि सोनिया या उनका परिवार कभी गलती कर ही नहीं सकता है और यही सोच सबसे बड़ी गलती है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशनरत बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए जेटली ने कहा कि योग गुरु से निपटने को लेकर भी सरकार में अंतर्विरोध दिखाई दिया.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का गुट उनसे बातचीत के जरिए समाधान चाहता था जबकि गृह मंत्री पी चिदंबरम वाला ‘अंहकारी गुट’ बल प्रयोग के जरिए. चिदंबरम की कार्यशैली की आलोचना करते हुए भाजपा महासचिव ने कहा, 'चिदंबरम खुद को इस सरकार का ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति मानते हैं.' संप्रग सरकार को ‘बिना शीर्ष नेतृत्तव वाला यानी हेडलेस चिकन’ बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री दिनों दिन पहले से अधिक अदृश्य होते जा रहे हैं.