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BJP की नजर अंदरूनी लड़ाई से ध्यान भटकाने पर: मनीष तिवारी

सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बुधवार को कहा कि अपने प्रमुख के खिलाफ लगे आरोपों और अपनी अंदरूनी लड़ाई से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी सरकार के खिलाफ पुराने आरोप लगा रही है जिसका जवाब पहले ही दृढता से दिया जा चुका है.

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मनीष तिवारी
मनीष तिवारी

सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बुधवार को कहा कि अपने प्रमुख के खिलाफ लगे आरोपों और अपनी अंदरूनी लड़ाई से ध्यान भटकाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के खिलाफ पुराने आरोप लगा रही है जिसका जवाब पहले ही दृढता से दिया जा चुका है.

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तिवारी भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. प्रसाद ने अपने बयान में सवाल किया था कि जमीन सौदों में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वड्रा और कोयला आवंटन घोटाले में प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.

तिवारी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अपने मुख्य प्रवक्ता के बयान से बीजेपी की हताशा झलकती है. तथ्य यह है कि भाजपा गुटों में बंटी हुई है. विभिन्न गुट हैं जो एक दूसरे के निशाने पर हैं.’

तिवारी के मुताबिक, ‘उन्हें अपनी अंदरूनी लड़ाई से ध्यान भटकाने की जरूरत है. इसलिए वे पुराने आरोप लगा रहे हैं जिनका पूर्व में दृढता से जवाब दिया जा चुका है.’ उन्होंने कहा कि बीजेपी ने आज जो मुद्दे उठाए हैं उनका पहले ही जवाब दिया जा चुका है.

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तिवारी ने कहा, ‘आज उठाए गए मुद्दों में से हर एक का निर्णायक और दृढता से जवाब दिया जा चुका है. इसलिए आज बारी उनकी है. अपने अध्यक्ष के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी को सफाई देनी है.’

मनीष तिवारी ने कहा कि गडकरी से जुड़े मुद्दों को कांग्रेस और सरकार ने नहीं बल्कि स्वतंत्र मीडिया संगठनों ने सार्वजनिक किया. तिवारी बोले, ‘इसलिए ध्यान भटकाने के प्रयास की बजाए, अपनी रिहाई खुद करने के बजाए, अपना अभियोजक और न्यायाधीश खुद होने के बजाए, भारतीय जनता पार्टी के लिए यह बेहतर होगा कि वह स्वतंत्र मीडिया संगठनों द्वारा उनके अध्यक्ष के लेनदेन पर उठाए गए मुद्दों का जवाब दे.’

उनसे यह भी पूछा कि क्या बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की इजाजत देने के सवाल पर संसद में मत विभाजन के लिए सरकार तैयार है. उन्होंने कहा, ‘जब जरूरत होगी तब हमें संख्या की कमी नहीं होगी. संसद सत्र अभी शुरू नहीं हुआ है और सदन के नेताओं ने अभी मुलाकात नहीं की है. दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को अपनी भूमिका निभानी है , इसलिए इसे छोड़ दिया जाए.’

 

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