बीमा और पेंशन क्षेत्रों में सुधार की सरकारी घोषणाओं के के बाद भाजपा ने कहा कि वह इन क्षेत्रों में और एफडीआई का विरोध तो नहीं करती है लेकिन लोगों के हितों की रक्षा के लिए खास शर्तें लगाई जानी चाहिए.
हालांकि भाजपा ने संसद पर इन कदमों का समर्थन किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि वह पहले सुधारों का मूल रूप देखना चाहेगी.
बीमा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्तीय मामलों की स्थाई संसदीय समिति ने 26 फीसदी एफडीआई की सिफारिश की थी.
उन्होंने कहा, ‘दस साल पहले बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई का प्रस्ताव देने वाले सिन्हा पहले व्यक्ति थे. उस वक्त कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और हम आमराय चाहते थे इसलिए 26 फीसदी पर सहमत हुए.’
प्रवक्ता ने कहा, ‘वित्त मामलों की स्थाई समिति में संप्रग के 16 सदस्य हैं और सर्वसम्मति से उन्होंने कहा कि इसे 26 फीसदी होनी चाहिए.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मुद्दे पर ‘अनिश्चित तरीके’ से पेश आई है.
मुद्दे पर भाजपा के रुख को साफ करते हुए उन्होंने कहा, ‘बीमा और पेंशन क्षेत्र में एफडीआई के हम विरोधी नहीं है क्योंकि हमनें इसे बनाया था.’
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘हमारी चिंता यह है कि विदेशी कंपनियां पहले ही ऋण पत्र निवेश के माध्यम से 26 फीसदी से ज्यादा निवेश कर चुकी हैं. अब इसे शेयर में तब्दील कर दिया जाएगा, इसलिए कोई नया एफडीआई नहीं आएगा.’ भाजपा ने कहा कि उसकी अन्य चिंता यह है कि इन कंपनियों ने ग्रामीण बाजारों का रुख नहीं किया जैसा कि उम्मीद थी और आईपीओ को इजाजत क्यों नहीं दी गई.
पेंशन पर भाजपा ने कहा कि सरकार ‘पेंशन फंड के 8.5 फीसदी के न्यूनतम रिटर्न देने की गारंटी’ सुनिश्चित करे और साथ में श्रम हितों और पेंशन फंड की सुरक्षा भी सुनिश्चित करे.