भारतीय जनता पार्टी ने नयी दिल्ली के रामलीला मैदान में कालेधन के मुद्दे पर सत्याग्रह कर रहे बाबा रामदेव और उनके समर्थको पर देर रात हुई पुलिस कार्रवाई को देश के लोकतंत्र के लिए कलंक बताते हुए इसके लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराया और घटना के विरोध में पूरे देश में 24 घंटे के सत्याग्रह की घोषणा की है.
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई की तुलना जालियांवाला कांड से करते हुए कहा, ‘यह घटना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर हुई है और आपातकाल के दिनों की याद दिलाती है.’
गडकरी ने कहा कि संप्रग सरकार और इसके नेता सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं और ‘इस घटना के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.’
गडकरी ने घोषणा की कि इस घटना के विरोध में पार्टी कार्यकर्ता पूरे देश में 24 घंटे का सत्याग्रह करेंगे और पार्टी के शीर्ष नेता आज शाम सात बजे से दिल्ली में राजघाट पर 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठेंगे.
गडकरी ने रामलीला मैदान में आधी रात को हुई कार्रवाई को ‘फासीवादी’ और लोकतंत्र को कलंकित करने वाली घटना करार देते हुए कहा कि आज शाम दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी जिसके बाद शाम सात बजे से पार्टी के वरिष्ठ नेता राजघाट पर 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठेंगे.
दिल्ली में सत्याग्रह में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, अध्यक्ष नितिन गडकरी और लोकसभा तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के अलावा राजनाथ सिंह आदि वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. सरकार से सत्याग्रह की अनुमति नहीं मिलने की संभावना के सवाल पर गडकरी ने कहा कि सत्याग्रह हमारा जनतांत्रिक अधिकार है और अनुमति मिले न मिले हम राजघाट जायेंगे.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और कालेधन के विरोध में बाबा रामदेव का आंदोलन देश हित में है और रामलीला मैदान में इस मुददे पर अहिंसा और सत्याग्रह के जरिए आंदोलन पर बैठे लोगों के विरुद्ध एसटीएफ और पुलिस ने जिस तरह लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले दागे उससे जलियावाला कांड की याद ताजा हो गयी है. बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया और उन पर भी लाठियां चलीं.
गडकरी ने कहा कि यह भी जून का महीना है और वर्ष 1975 में भी जून महीने में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लगाया था. तब भी भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठायी गयी थी और सरकार ने आपातकाल लगा दिया था. रामलीला मैदान में हुई कार्रवाई से लगता है कि सरकार के कदम आपातकाल की ओर उठ रहे है.
संप्रग सरकार पर कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कालेधन के सवाल पर संप्रग सरकार जिस तरह घबरायी है और इधर-उधर की बात कर रही है उससे लगता है कि कालेधन के खाताधारियों का पता चल जाने से उसे उनका मुंह काला हो जाने का डर है.
गडकरी ने कहा कि रामलीला मैदान में कल रात जो हुआ है वह लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हिन्दुस्तान की जनता को इसके विरोध में सडक पर आना चाहिए.