कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के रविवार को राजधानी पहुंचने की उम्मीद है, जहां वे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे और राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज को वापस बुलाने के लिये दबाव बनाने की रणनीति तैयार करेंगे.
राज्यपाल के विधानसभा सत्र बुलाने की लगातार अनिच्छा जताने के कारण मुख्यमंत्री ऐसी रणनीति बनाने जा रहे हैं. येदियुरप्पा के करीबी सूत्रों ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उन्हें दिल्ली नहीं बुलाया है, लेकिन भारद्वाज को हटाने की रणनीति तैयार करने के लिये वे आएंगे.
राज्य के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘भारद्वाज इस बहाने पर विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार कर रहे हैं कि वे अपनी रिपोर्ट (जिसमें कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की गई है) पर केंद्र के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम काफी समय तक इंतजार नहीं कर सकते.’’ संप्रग सरकार रविवार शाम राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक करने वाली है, जहां कर्नाटक का मुद्दा उठ सकता है.
उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले के बाद येदियुरप्पा विधानसभा में बहुमत साबित करने को तैयार हैं. फैसले में उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के 11 विधायकों को अयोग्य करार देने के फैसले को रद्द कर दिया था. चूंकि इन विधायकों ने उनकी सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है, इसलिए 224 सदस्यीय विधानसभा में उन्होंने 121 विधायकों के समर्थन का दावा किया है.
येदियुरप्पा के करीबी एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘विधानसभा का सत्र बुलाना भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कर्नाटक में मार्च में सिर्फ चार महीने के लिये लेखानुदान पारित किया गया था. अब बजट पेश किया जाना है.’’
येदियुरप्पा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पार्टी अध्यक्ष नीतिन गडकरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली एवं अन्य नेताओं से मुलाकात कर भारद्वाज को वापस बुलाने के लिये दबाव बनाने की रणनीति बनाएंगे. भाजपा ने उन पर कांग्रेस के ‘‘राजनीतिक एजेंट’’ की तरह काम करने का आरोप लगाया है.
पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि अगर केंद्र ने अपनी कार्रवाईयों से ‘‘येदियुरप्पा सरकार को अस्थिर करने’’ की कोशिश की तो वह कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ सकती है.