उत्तर प्रदेश की 16वीं विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने सूबे में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव सहित निर्वाचन आयोग और केन्द्रीय बलों की देख-रेख में नहीं होने वाला कोई भी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने विधानसभा चुनाव में हार के कारणों तथा कुछ अन्य विषयों की समीक्षा के लिये राजधानी में आयोजित पार्टी के ‘अखिल भारतीय कार्यकर्ता सम्मेलन’ में कहा कि प्रदेश में सपा की सरकार के लौटते ही ‘गुण्डाराज’ की भी वापसी हो गयी है.
प्रदेश की निवर्तमान मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके मद्देनजर बसपा को कुछ सख्त फैसले लेने पड़े हैं. चूंकि स्थानीय निकाय चुनाव केन्द्रीय बलों की निगरानी में नहीं होते हैं इसलिये अपने कार्यकर्ताओं की जान-माल की रक्षा के लिये बसपा सूबे में निकट भविष्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ेगी.
मायावती ने कहा कि अगर कोई पार्टी कार्यकर्ता या पदाधिकारी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ता है तो उसे तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों की घोषणा के फौरन बाद शुरू हुई गुण्डागर्दी बसपा के लिये ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि इसका निशाना जानबूझकर इसी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बनाया जा रहा है ताकि स्थानीय निकाय चुनाव में सपा को इसका लाभ दिलाया जा सके.
विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बसपा प्रमुख ने कहा कि वे चुनाव परिणाम सीटों के हिसाब से पार्टी की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे.
उन्होंने कहा कि इससे भाजपा के सत्ता में आने की आशंका से घबराए मुसलमानों का करीब 70 प्रतिशत वोट सपा के पास चला गया और बसपा को शिकस्त सहन करनी पड़ी.
मायावती ने कहा कि प्रदेश में दलितों को छोड़कर ज्यादातर हिन्दू समाज में से खासतौर से अगड़ी जातियों का वोट कई पार्टियों में बंट जाने के कारण इसका सीधा लाभ सपा के उम्मीदवारों को मिला.
उन्होंने कहा कि हालांकि बसपा का वोट प्रतिशत काफी अच्छा रहा और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जी-जान से काम करके पार्टी का जनाधार बढ़ाया लेकिन साढ़े 24 लाख वोट के अंतर से सपा बसपा के मुकाबले अप्रत्याशित रूप से 144 सीटें ज्यादा जीत गयी.
बसपा प्रमुख ने चुनाव में पराजय के बाद प्रदेश में पार्टी के संगठन में व्यापक बदलाव का ऐलान भी किया.
देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों के मद्देनजर उत्पन्न राजनीतिक स्थिति की विस्तार से चर्चा करते हुए मायावती ने कहा कि इसका सीधा प्रभाव केन्द्र की राजनीति पर जरूर पड़ेगा और अब देश में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव होने की सम्भावना प्रबल हो गयी है.
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अगला लोकसभा चुनाव वर्ष 2014 से पहले ही हो जाएगा जिसके लिये बसपा कार्यकर्ताओं को तन, मन, धन से तैयार हो जाना चाहिये.
इस बीच, पार्टी सूत्रों के मुताबिक बसपा प्रमुख ने आज हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में दल की विभिन्न समितियां भंग कर दीं.