उच्चतम न्यायालय राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम संगठनों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दायर कर रखी हैं.
धार्मिक समूहों ने 2.77 एकड़ विवादास्पद भूमि को तीन हिस्सों (हिन्दुओं, मुसलमानों और निर्मोही अखाड़ा) में बांटे जाने के उच्च न्यायालय के फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की हैं.
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढा की पीठ निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारत हिन्दू महासभा, जमीयत उलेमा ए हिन्द और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. एक याचिका भगवान राम विराजमान की ओर से भी दायर की गई है.
वक्फ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिन्द ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह सबूतों पर नहीं, आस्था पर आधारित है. उन्होंने कहा है कि विवादास्पद स्थल पर मुसलमानों, हिन्दुओं और निर्मोही अखाड़े के अपने अपने दावे हैं, जो दूसरों से बिल्कुल अलग हैं.
याचिकाओं में कहा गया, ‘‘किसी ने भी उच्च न्यायालय में यह नहीं कहा कि मुसलमानों, हिन्दुओं और निर्मोही अखाड़े के पास विवादास्पद परिसर का संयुक्त कब्जा था. तीनों पक्षों ने पूरी तरह अलग-अलग दावे कर समूची संपत्ति को अपनी खुद की बताया. किसी ने भी संपत्ति के बंटवारे के लिए डिक्री नहीं मांगी.’’
दूसरी ओर हिन्दू महासभा ने उच्च न्यायालय के बहुमत से किए गए इस फैसले को निरस्त करने की मांग की कि जमीन का एक-तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया जाए. इसने मांग की है कि न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा के इस अल्पमत फैसले को कायम रखा जाए कि समूची जमीन हिन्दुओं को दे दी जाए.
हिन्दू महासभा ने अपनी याचिका में कहा है ‘‘न्यायमूर्ति एसयू खान और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के 30 सितंबर 2010 के इस फैसले को खारिज किया जाए कि संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया जाए.’’ इसने शीर्ष अदालत से अपील की कि प्रभावी फैसले के रूप में ‘‘न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा के फैसले को कायम रखा जाए.’’
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 30 सितंबर को बहुमत से यह मानते हुए तीन अलग-अलग फैसले दिए थे कि तीन गुम्बदों वाले ढांचे में मध्य गुम्बद के दायरे में आने वाला क्षेत्र जहां भगवान राम की प्रतिमा स्थित है हिन्दुओं का है.
न्यायमूर्ति खान और न्यायामूर्ति अग्रवाल का यह मत था कि समूची विवादास्पद जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड निर्मोही अखाड़े और ‘रामलला विराजमान’ का प्रतिनिधित्व कर रहे पक्षों के बीच तीन हिस्सों में बांट दी जाए. दूसरी ओर न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा था कि समूची भूमि हिन्दुओं की है.
इससे पूर्व दिल्ली के विधायक शोएब इकबाल ने भी शीर्ष अदालत में एक अपील दायर की थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने यह कहकर इसे नामूंजर कर दिया था कि याचिका ‘‘गलत तथ्यों पर आधारित है, इसलिए खारिज की जाती है.’’