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बाबरी विध्वंस के लिए आडवाणी के उत्तेजक भाषण जिम्मेदार

बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही सुनवाई में सीबीआई की तरफ से प्रस्तुत 10वें गवाह हाजी महबूब अहमद ने कहा है कि छह दिसम्बर 1992 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आदि ने भड़काउ भाषण दिया, जिसके परिणाम स्वरुप न सिर्फ ‘मस्जिद शहीद कर दी गयी, बल्कि आस-पास की अल्पसंख्यक बस्तियों में आगजनी भी की गयी’.

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बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही सुनवाई में सीबीआई की तरफ से प्रस्तुत 10वें गवाह हाजी महबूब अहमद ने कहा है कि छह दिसम्बर 1992 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आदि ने भड़काउ भाषण दिया, जिसके परिणाम स्वरुप न सिर्फ ‘मस्जिद शहीद कर दी गयी, बल्कि आस-पास की अल्पसंख्यक बस्तियों में आगजनी भी की गयी’.

सीबीआई की विशेष अदालत में मुख्य दंडाधिकारी विष्णु प्रसाद अग्रवाल के समक्ष अपनी गवाही देते हुए अहमद ने यह भी कहा कि जब मस्जिद शहीद की जा रही थी, उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को फोन करके मस्जिद और अल्पसंख्यकों को बचाये जाने के लिए गुहार भी की थी तथा प्रधानमंत्री कार्यालय एवं सर्वोच्च न्यायालय को तार भेजकर भी वहां की स्थिति की जानकारी दी थी.

विवादित परिसर से कुछ ही फर्लाग दूर मुख्य सड़क पर रहने वाले अहमद ने अदालत को बताया कि छह दिसम्बर 1992 को लगभग 10 बजे जब वे अपने कुछ साथियों के साथ अपने घर के बरामदे में बैठे थे, तो सड़क से एक काफिले को गुजरते देख उनके साथियों ने कहा, ‘आडवाणी जी जा रहे हैं. मैंने स्वयं भी आडवाणी जी को पहचाना, क्योंकि मैं उन्हें पहले से पहचानता था.’
अहमद ने यह भी बताया कि जैसे ही आडवाणी जी का काफिला बाबरी मस्जिद परिसर में पहुंचा तो वहां भारी शोर-शराबा शुरु हो गया.{mospagebreak}

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उन्होंने बताया, ‘वहां से आवाजें आ रही थी कि मस्जिद गिरा दो, एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो, बाबर का निशान मिटा दो और मुसलमानों को यहां से निकाल दो.’

अहमद ने बताया कि जिस समय यह सब हो रहा था उनके घर पर 150-200 लोग पनाह लिये हुए थे. उन्होंने बताया, ‘शोर शराबा और नारेबाजी सुनने के बाद मैंने घर अन्दर से बंद कर लिया और छत पर चला गया, जहां से मैंने देखा कि कुछ लोग बाबरी मस्जिद पर चढ़ गये है, और गैंती फावड़ों से गुम्बदों पर वार कर रहे है. मैंने अपने घर में पनाह लिये लोगों को बताया कि मस्जिद शहीद की जा रही है. अगर आप लोग चाहो तो जा सकते हो, जिसके बाद कुछ लोग चले गये और कुछ मेरे घर पर ही रह गये.’

अहमद ने कहा कि मस्जिद शहीद किये जाते देख उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को फोन किया और बाद में प्रधानमंत्री तथा सर्वोच्च न्यायालय को टेलीग्राम भी किया, जिसकी कापी वे अदालत में जमा कर सकते है.

उन्होंने अदालत को बताया कि तकरीबन चार पांच बजे के बीच पूरी मस्जिद शहीद की जा चुकी थी और उसी दौरान मस्जिद के आस-पास के मोहल्लों में मुसलमानों के घरों में आगजनी भी हुई, जिसमें 16 बेगुनाह लोगों की जाने चली गयी.

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अहमद ने इस पूरे कांड के लिए आडवाणी, उमा भारती, विनय कटियार, परमहंस रामचन्द्र दास:अब दिवंगत: और साध्वी ऋतंभरा के उत्तेजक भाषणों को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी नजर में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को शहीद किये जाने के लिए सबसे ज्यादा दोषी तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिंह राव और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी थे.

अहमद का बयान आज पूरा नहीं हो सका और उनका शेष बयान दर्ज करने के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश मुख्य दंडाधिकारी अग्रवाल ने 21 फरवरी की तारीख तय कर दी.

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