नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने सरकार को एयर इंडिया को राष्ट्रीय वाहक मानने का सुझाव देते हुए इस खस्ताहाल विमानन कंपनी की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए पांच सूत्री सिफारिश की है.
कैग ने कहा है, ‘हमारा मानना है कि एयर इंडिया में अंर्तनिहित शक्तियां थीं, लेकिन आंतरिक और बाहरी कारकों से यह एक बहुत नाजुक स्थिति में पहुंच गई.
कैग ने कहा है कि ‘नागर विमानन मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता जिससे यह सिद्ध हो सके कि उसने पिछले कुछ सालों में एयर इंडिया को सकारात्मक सहयोग किया हो.’ देश में नागर विमान क्षेत्र के कार्यनिष्पादन के बारे में प्रस्तुत कैग के प्रतिवेदन में पांच सूत्री सुझाव देते हुए कहा गया है, ‘यदि एयरलाइंस को वाणिज्यिक व्यवहार्यता के लिए सुधारना है तो सरकार को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना होगा.’
सुझाव 1- सरकार को कंपनी की आय सृजन क्षमता का वास्तविक आकलन करने के बाद एक छोटी अवधि में कंपनी पर ऋण देनदारियां खत्म करने के लिए एक रूपरेखा बनानी चाहिए. एयरलाइन पर मार्च 2010 के अंत में 38,423 करोड़ रुपये का कर्ज था.
सुझाव 2- कंपनी, उसके निदेशक मंडल, सरकार द्वारा नामित निदेशकों और नागर विमानन मंत्रालय पर स्पष्ट रूप से जवाबदेही तय करनी होगी. निजी एयरलाइनों के साथ किए गए समझौतों में इस राष्ट्रीय विमानन कंपनी के हितों का भी ध्यान जरूर रखा जाए.
सुझाव 3- विमान के रूटों का गहराई से आकलन हो ताकि गैर.लाभ वाले रूटों पर उड़ानों की संख्या की समीक्षा की जा सके.
सुझाव 4- नागर विमानन मंत्रालय एवं सरकार को यह एहसास करना चाहिए कि एयर इंडिया एक राष्ट्रीय विमानन कंपनी है. घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय रूटों पर ‘इनकार का पहला अधिकार’ के संबंध में सभी निर्णय एयर इंडिया के हितों को ध्यान में रखकर जवाबदेही के साथ किये जाने चाहिए.
सुझाव 5- एयर इंडिया के प्रबंधन में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए.