पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा माओवादी करार दिये गये और एक रैली के दौरान उनसे सवाल पूछने पर गिरफ्तार किये गये सिलादित्य चौधरी को एक स्थानीय अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया.
चौधरी के वकील अश्विनी मंडल ने झाड़ग्राम उप मंडलीय अदालत में जमानत याचिका दायर करने के साथ ही इस मामले की केस डायरी की भी मांग की थी. झाड़ग्राम जेल में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बंद चौधरी अदालत में मौजूद नहीं थे. इस मामले पर सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी.
चौधरी ने आठ अगस्त को माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले बेलपहाड़ी में एक सार्वजनिक बैठक में मुख्यमंत्री से कहा था कि किसान मर रहे हैं और पूछा कि सरकार क्या कदम उठा रही है क्योंकि ‘खोखले वादे काफी नहीं हैं.’ मुख्यमंत्री ने इस सवाल पर आश्चर्य जताते हुए चौधरी को माओवादी करार दिया तथा पुलिस से उन्हें गिरफ्तार करने को कहा था.
पुलिस ने चौधरी को हिरासत में ले लिया था लेकिन पूछताछ के बाद उन्हें जाने दिया था. इसके बाद चौधरी को 10 अगस्त की रात उनके घर से फिर से गिरफ्तार किया गया और अगले दिन अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धारायें लगाई गई हैं.
इस घटना के बाद ममता बनर्जी की काफी आलोचना हुई थी. इस बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता और रेल मंत्री मुकुल राय ने कहा है कि व्यक्ति ने कोई सवाल नहीं पूछा था और वह मुख्यमंत्री की बैठक में बाधा डाल रहा था तथा शराब पीये हुये था.