शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए. शनिवार दोपहर साढ़े तीन बजे उनका निधन हो गया. उन्हें दिल का दौरा पड़ा और फिर बाला साहेब संभल नहीं पाए. ये खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी, जिसने सुना सन्न रह गया. उनके चाहने वालों की आंखों में आंसू उमड़ आए. वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. वह 86 वर्ष के थे.
ठाकरे की देखरेख कर रहे डॉक्टर जलील पारकर के मुताबिक ठाकरे ने दोपहर बाद 3.30 बजे अंतिम सांस ली. डॉ. पारकर ने बताया, 'बाल ठाकरे की हृदय गति रुक गई और प्रयासों के बावजूद हम हृदय गति बहाल नहीं कर सके.'
निधन के समय उनके परिवार के सदस्य उनके पास मौजूद थे. जबकि मातोश्री के बाहर शिव सैनिकों का भारी जमावड़ा बना हुआ था.
ठाकरे को सांस की बीमारी के अलावा पेंक्रियास की बीमारी थी. उनके परिवार में पुत्र जयदेव और उद्धव हैं. इनमें उद्धव पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. ठाकरे के निधन का समाचार सुनते ही बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपने परिवार के साथ ‘मातोश्री’ के लिए निकल पड़े.
उनके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता और अन्य राजनीतिक नेता भी दिवंगत नेता के आवास पर पहुंचने लगे. इस बीच ठाकरे के निधन के बाद महानगर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है. पुलिस ने मीडिया के लोगों को मातोश्री से थोड़ी दूरी पर रहने को कहा.
महाराष्ट्र में हिंदूवादी व मराठी राजनीति की हनक के लिए चर्चित ठाकरे ने 1966 में शिव सेना की स्थापना की थी.
कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले ठाकरे हिंदू गुरुओं की तरह गले में रूद्राक्ष की माला धारणा करते थे और बाद में उन्होंने दाढ़ी भी बढ़ा ली थी.
जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे ठाकरे ने अपनी खास शैली की राजनीति से कभी संकोच नहीं किया. अभी कुछ ही दिनों पूर्व उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित क्रिकेट मैच हरगिज न होने दिया जाए.
पार्टी मुखपत्र सामना में प्रथम पृष्ठ पर जारी एक अपील में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की उनके बयान के लिए जमकर खिंचाई की थी. शिंदे ने कहा था कि अतीत को भूल जाइए और पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलिए. ठाकरे लगभग दो वर्षो से बीमार थे और घर पर उनका नियमित इलाज चल रहा था.
पिछले सप्ताह उनकी तबियत बिल्कुल नाजुक हो गई. पार्टी नेताओं के अनुसार, मातोश्री में ही अस्थायी तौर पर एक गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) बनाकर चौबीस घंटे उनका गहन इलाज चल रहा था. अपराह्न् 4.55 बजे निधन की घोषणा के साथ ही पूरे महाराष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई.