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बाल ठाकरे ने फिर उगली अन्‍ना के खिलाफ आग

अन्ना अस्पताल में हैं और उनके पुराने विरोधी शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे सेहत के लिए शुभकामना के साथ-साथ कुछ तीखे आरोप भी लगाए हैं. सामना में लिखे संपादकीय के मुताबिक अन्ना के आंदोलन से अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को फायदा पहुंचा है.

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अन्ना अस्पताल में हैं और उनके पुराने विरोधी शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे सेहत के लिए शुभकामना के साथ-साथ कुछ तीखे आरोप भी लगाए हैं. सामना में लिखे संपादकीय के मुताबिक अन्ना के आंदोलन से अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को फायदा पहुंचा है.

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पुणे के अस्पताल में भर्ती अन्ना के लिए पहले तो शिवसेना की तरफ से शुभकामना संदेश आया लेकिन मुखपत्र सामना में वो आग उगलने से नहीं चूके.

मुखपत्र के संपादकीय के मुताबिक 'भ्रष्ट्चार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन ने अपनी चमक खो दी है. अन्ना के नाम का जो बुलबुला यमुना किनारे बना था वो मुंबई में मीठी नदी के किनारे आकर फूट गया. हालत ये हुई कि मुंबई में जो हुआ उसके बाद रालेगण सिद्वि के लोग भी अन्ना के स्वागत के लिए नहीं पहुंचे.’

इसी संपादकीय में बाल ठाकरे ने अन्ना को देश की अर्थव्यवस्था के डगमगाने और अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाने का गुनहगार ठहराया है. '2011 में सिर्फ भारत ही नहीं ब्राजील, रूस और चीन मे भी इसी तरह के आंदोलन हुए. अमेरिका और यूरोप ये बात समझ गए थे कि जब तक इन देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरेगी तब तक निवेशक इनसे चिपके रहेंगे. इसलिए निवेशकों को भगाने के लिए आंदोलन करवाने जरूरी थे और भारत की अर्थव्यवस्था बंटाधार करने का जिम्मा टीम अन्ना को सौंपा गया.

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इसका सीधा-सीधा सबूत इस बात से मिलता है कि टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल को वार्न फाउंडेशन से डोनेशन मिला. आखिर माइक्रोसाफ्ट जैसी विदेशी कंपनी किरण बेदी की तरफदारी क्यों करती है. रिकी पटेल सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अन्ना के आंदोलन को इतना बढ़ावा क्यों दे रहा था. सिर्फ इसलिए कि ग्लोबल फोरम में भारत की भ्रष्टाचार में डूबे देश की छवि बनाई जा सके जिससे विदेशी निवेशक अपना पैसा निकालकर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में लगा सकें.

अरविंद केजरीवाल ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा है कि उन्होने वॉर्न फाउंडेशन से कोई मदद नहीं ली. वैसे भी शिवसेना का अन्ना के साथ छत्तीस के आंकड़े में अजीबोगरीब उतार चढ़ाव आते रहे हैं. पिछले साल रामलीला मैदान में अन्ना के मंच पर बाल ठाकरे के पोते आदित्य ठाकरे पहुंचे थे. इन सबके बीच एक बात ये भी है कि अन्ना अगर आराम करेंगे तो आंदोलन की दिशा और दशा कैसे तय होगी. क्या अन्ना के बगौर लोकपाल के आंदोलनों की धार वैसी ही रह पाएगी.

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