बैंकों के कर्ज को मंहगा करने वाली नीतिगत चाल के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नकदी के अल्पकालिक लेन देन पर अपनी ब्याज दरों में चौथाई चौथाई प्रतिशत की वृद्धि करने की घोषणा की.
रेपो और रिवर्स रेपो के रूप में चर्चित इन ब्याज दरों में वृद्धि तत्काल प्रभावी हो गयी है. आरबीआई रेपो और रिवर्स रेपो दरों पर बैंक वाणिज्यिक बैंकों को क्रमश: फौरी तौर पर नकदी उपलब्ध कराता है या उसने नकदी प्राप्त करता है. केंद्रीय बैंक ने 27 जुलाई को प्रस्तावित अपनी मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा बैठक का इंतजार किए बगैर ही ब्याज दर की चाबी घुमा दी है. रेपो दर अब 5.50 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 4 प्रतिशत हो गयी है.
वैसे गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति करीब एक चौथाई घटकर लगभग 12 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी पर मई के आंकड़ों के अनुसार सामान्य मुद्रास्फीति अब भी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. रिजर्व बैंक की इस पहल से बैंकों के लिए कोष की लागत बढ़ेगी और ऋण की मांग घटेगी.