निजी एयरलाइंस कंपनी को किसी प्रकार की सरकारी राहत देने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बाद बैंकों ने नकदी संकट से जूझ रही किंगफिशर एयरलाइन के प्रवर्तकों से 800 करोड़ रुपये मूल्य की नई इक्विटी पूंजी डालने को कहा है, उसके बाद ही वह मौजूदा ऋण के दूसरे पुनर्गठन पर विचार करेंगे.
इस बीच, ऋण पुनर्गठन योजना के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर विचार के लिये किंगफिशर निदेशक मंडल की मुंबई में महत्वपूर्ण बैठक हुई. बैंकों ने कंपनी को ‘विश्वसनीय’ योजना लाने को कहा है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में 13 बैंकों का समूह आज किंगफिशर के प्रबंधन से मिलने वाला है. बैंकों के समूह को कंपनी के 7,057.08 करोड़ रुपये के कर्ज बोझ को हल्का करने के बारे में निर्णय करना है.
बैंकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रवर्तकों को कम से कम 800 करोड़ रुपये की नई इक्विटी पूंजी डालनी होगी क्योंकि ऋणदाता एयरलाइन के प्रवर्तक के रूप में काम नहीं कर सकते. 13 बैंकों के समूह का नेतृत्व करने वाले एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा, ‘बैंक उनके बेड़े, इक्विटी, ईंधन आपूर्ति के बारे में और सूचना चाहते हैं. बैंक कर्जदाता के रूप में सामने आ सकते हैं न कि प्रवर्तक के रूप में. हम उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर कदम उठाएंगे.’
यह पूछे जाने पर कि क्या बैंक किंगफिशर को नया कर्ज देने पर विचार करेगा, एसबीआई के प्रबंध निदेशक हेमंत कान्ट्रैक्टर ने कहा, ‘हमें कंपनी की व्यवहार्यता को लेकर संतुष्ट होना पड़ेगा. अगर कंपनी का परिचालन व्यवहारिक नहीं है तो पुनर्गठन का कोई मामला ही बनता.’
उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे नया कोष लेकर आने को कहा है, तभी बैंक ऋण पुनर्गठन के उनके अनुरोध पर विचार करेगा. हम चाहते हैं कि कंपनी अपने पास कुछ और कोष लेकर सामने आये.’ सभी बैंकों में एसबीआई ने किंगफिशर को सर्वाधिक 1,400 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस बयान पर कि सरकार एयरलाइन को संकट से उबारने के लिये उपायों पर विचार करेगा, कंपनी के मालिक विजय माल्या ने ट्विटर पर कहा है, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं और एक दूसरे के बीच संपर्क और आवागमन की अहमियत को समझते हैं जो आर्थिक वृद्धि से जुड़ा है ऐसे में (प्रोत्साहन को लेकर) इस प्रकार की बहस क्यों हो रही है.’
उन्होंने संकट से निकालने के ‘बेलआउट’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर मीडिया की भी आलोचना की, उन्होंने कहा इससे मामला संवेदनशील बन गया.
किंगफिशर को सरकारी सहायता के मुद्दे पर बजाज समूह के संरक्षक राहुल बजाज ने कहा था कि निजी क्षेत्र को राहत पैकेज नहीं दिया जाना चाहिए और ‘जो मरते हैं, उन्हें मरने देना चाहिए.’
विपक्षी दल भाजपा और माकपा ने भी किसी भी प्रकार के राहत पैकेज का विरोध किया है. बजाज के विचारों का समर्थन करते हुए स्पाइस जेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नील मिल्स ने कहा, ‘यह निजी क्षेत्र है. निजी विमानन कंपनी को संकट निवारण पैकेज क्यों दिया जाना चाहिए. मुझे इसमें कोई तर्क नहीं दिखता कि करदाताओं का पैसा निजी कंपनी को संकट से उबारने पर खर्च किया जाए.’