बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कमजोर करने के कथित सरकारी प्रयासों पर विरोध जताने के लिये 11 जुलाई से बुलायी गयी दो दिवसीय हड़ताल में मध्यप्रदेश के करीब 85,000 वकील शामिल होंगे और अदालतों में न्यायिक कार्य का बहिष्कार करेंगे.
मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने बताया, ‘हायर एजुकेशन एंड रिसर्च बिल 2011 जैसे प्रस्तावित कानूनों के जरिये सरकार बार कौंसिल ऑफ इंडिया से अधिकार छीनकर उसे अपंग बनाने का प्रयास कर रही है. इसके खिलाफ प्रदेश में लगभग 85,000 वकील 11 और 12 जुलाई को न्यायिक कार्य नहीं करेंगे.’
उन्होंने बताया कि दो दिवसीय हड़ताल के दौरान उच्च न्यायालय की जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर पीठ के साथ सभी जिला अदालतों और निचली कचहरियों में वकील न्यायिक कार्य का बहिष्कार करेंगे.
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी विश्वविद्यालयों को पिछले दरवाजे से प्रवेश दिलवाना चाहता है, ताकि विधिक पेशे पर नियंत्रण हासिल किया जा सके.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने विवादास्पद हायर एजुकेशन एंड रिसर्च बिल 2011 को लेकर वकीलों की मांगों पर उचित कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन के अगले चरण के तहत देश भर के अधिवक्ता बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे और मानसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे.