मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.9 प्रतिशत पर आने की वजह निर्णय करने में विलंब के अलावा वैश्विक अनिश्चितता और उच्च मुद्रास्फीति को बताया. लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि पूरे वित्त वर्ष में यह करीब 7.5 प्रतिशत रहेगी.
वर्ष 2010-11 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत थी. बसु ने उम्मीद जताई कि जनवरी से आगे स्थिति में सुधार होगा.
बसु ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में अस्थायी मंदी की तीन वजहें हैं. वैश्विक स्थिति में सुस्ती से भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटी. हम मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं और इससे छुटकारा नहीं मिल रहा, निर्णय करने में कुछ देरी हुई.’
उल्लेखनीय है कि उद्योग जगत की कई हस्तियां पहले ही सरकार के नीतिगत निर्णय में पंगु होने जैसी स्थिति पर चिंता जता चुके हैं. बसु ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अंतिम तिमाही तक अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और 2011.12 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहेगी.
उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘मेरा अनुमान है कि साल के अंत तक सुधार होगा. तीसरी तिमाही मुश्किलों से भरी होगी, लेकिन चौथी तिमाही में हम अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लौटते देख सकते हैं. पूरे वित्त वर्ष में वृद्धि दर करीब 7.5 प्रतिशत रहेगी.’