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मुंबई हमलावरों की सजा के बाद ही हो भारत पाक वार्ता

केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विकास के लिये पाकिस्तान से बातचीत की जानी चाहिये लेकिन यह बातचीत तभी होनी चाहिये जब पाकिस्तान मुंबई में 26 नवंबर को हुये विस्फोटो के गुनहगारों को सजा दे, इससे भारत की जनता को लगेगा कि उनके साथ इंसाफ हुआ है.

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केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विकास के लिये पाकिस्तान से बातचीत की जानी चाहिये लेकिन यह बातचीत तभी होनी चाहिये जब पाकिस्तान मुंबई में 26 नवंबर को हुये विस्फोटो के गुनहगारों को सजा दे, इससे भारत की जनता को लगेगा कि उनके साथ इंसाफ हुआ है.

कानपुर में एक सम्मान समारोह में भाग लेने आये नवीन एवं नवीकृत उर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी तक लोगो के मन में यही धारण थी कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले होते रहते है लेकिन मुंबई में 26 नवंबर को हुये आतंकवादी हमले के बाद अब जनता भी यह समझ चुकी है कि आतंकवादी देश के किसी कोने में भी हमला कर सकते हैं. कानपुर की एक स्वंय सेवी संस्था मानस संगम ने डॉ. फारूक अब्दुल्ला को राष्ट्रीय सदभावना सम्मान से सम्मानित किया.

अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आप जम्मू-कश्मीर का विकास चाहते हैं तो आपको पाकिस्तान से बातचीत करनी होगी लेकिन यह बातचीत तभी की जानी चाहिये जब वह मुंबई विस्फोटो के जो गुनहगार उसके देश में बैठे है उन्हें सजा दिलायें. इस बारे में भारत सारे सबूत पाकिस्तान को मुहैया करा चुका है. पाकिस्तान जब अपने देश में छिपे गुनहगारों को सजा देगा तो हिन्दुस्तान की जनता को लगेगा कि वह इंसाफ कर रहा है और तब उससे बातचीत करने में कोई गुरेज नही है.

जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकियों से प्रदेश सरकार द्वारा बातचीत के लिये पहल किये जाने संबंधी सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा कि जब तक आतंकवादी हथियार डाल कर समाज की मुख्य धारा में नही आ जाते है उनसे कोई बातचीत नही होगी. शोपियां मामले पर पूछे गये सवाल के जवाब में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब यह एक राजनीतिक मामला बन गया है और विभिन्न राजनीतिक दल इस पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे है. इस मामले को सबसे ज्यादा पीडीपी उछाल रही है क्योंकि उसका मकसद जनता के हितों का ख्याल रखना नही है बल्कि जम्मू-कश्मीर राज्य की कुर्सी पाना है.

जम्मू-कश्मीर की जनता की बेरोजगारी दूर करने के लिये वहां कोई उद्योग धंधे क्यों नही खोले जाते इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी समस्या बिजली की है जब तक वहां बिजली नही होगी वहां उद्योग नहीं लगाये जा सकते. जम्मू-कश्मीर का मुख्य रोजगार पर्यटन है और हाल के कुछ दिनों में वहां पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है और लोग रोजगार पा रहे है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खौफ का साया धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और देश के अन्य हिस्सों से लोग कश्मीर की खूबसूरती को देखने आ रहे है. कश्मीर से भारतीय सेना की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह रक्षा मंत्रालय का फैसला है वह जहां समझती है कि फौज कम कर देनी चाहिये वहां फौज कम हो जाती है. रक्षा मंत्रालय कभी भी देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नही करती.

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