भाजपा नेताओं ने अपने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात कर कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज के ‘असंवैधानिक बर्ताव’ के बारे में शिकायत की और उन्हें पद से हटाने की मांग की.
राष्ट्रपति से मुलाकात करने गये भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में कर्नाटक के 23 सांसद भी शामिल थे. नेताओं ने शिकायत की कि भारद्वाज पिछले वर्ष जून में जब से राज्यपाल बने हैं, तभी से वह राज्य सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. भाजपा नेताओं ने कहा कि ‘संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिये’ भारद्वाज को हटाया जाना ‘जरूरी’ है.
आडवाणी ने राष्ट्रपति भवन में पाटिल से मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से अपील की कि कर्नाटक के राज्यपाल को वापस बुलायें क्योंकि वह संविधानेत्तर और टकराव वाला नजरिया अपनाये हुए हैं. ज्ञापन में हमने ऐसे कई उदाहरण बताये जिनसे साबित होता है कि वह शुरुआत से ही राजनीतिक एजेंडा अपनाये हुए हैं.’
प्रतिभा से भाजपा नेताओं ने यह शिकायत तब की है जब भारद्वाज और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस येदियुरप्पा के बीच तनाव बढ़ गया है. भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की राज्यपाल के मंजूरी देने के बाद यह तनाव बढ़ा है.{mospagebreak}
भारद्वाज की नियुक्ति को देश में ‘लोकतंत्र खत्म’ करने की दिशा में उठाया गया कदम करार देते हुए भाजपा ने कहा कि राज्यपाल का ‘नजरिया और बर्ताव’ असंगत और समानांतर उद्देश्यों से प्रेरित है. वह संवैधानिक पदधारी कम और कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह ज्यादा पेश आ रहे हैं.
येदियुरप्पा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर उठाये गये कदम के चलते भारद्वाज की आलोचना करते हुए भाजपा ने कहा कि राज्यपाल राजनीतिक कारणों के चलते दुर्भावना नहीं रख सकते और खुद को जांच आयोग या लोकायुक्त के स्थान पर नहीं मान सकते.
ज्ञापन में भाजपा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ दिये गये कर्नाटक के राज्यपाल के कई सार्वजनिक बयानों का जिक्र किया और कहा कि ‘सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान आमतौर पर विपक्षी नेताओं द्वारा दिये जाते हैं. ऐसे बयान सरकार के संवैधानिक प्रमुख नहीं दिया करते.’ आडवाणी ने यह भी याद दिलाया कि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी इस विषय के बारे में अवगत कराया था.
नाफरमानी वाले रुख में नजर आ रहे येदियुरप्पा भारद्वाज के साथ अपने विवाद को कल राष्ट्रीय राजधानी तक ले जाये जब उन्होंने राज्य में उभरे सियासी हालात से निपटने की रणनीति तैयार करने के मकसद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की.{mospagebreak}
भूमि घोटालों में कथित संलिप्तता के चलते येदियुरप्पा पर अभियोजन चलाने की राज्यपाल द्वारा मंजूरी दिये जाने के बाद राज्य में यह राजनीतिक स्थिति उभरी है.
कर्नाटक से सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने मौजूदा हालात का दोष कांग्रेस पर मढ़ते हुए कहा कि पूरे प्रकरण में ‘सूत्रधार’ कांग्रेस आलाकमान है और कर्नाटक के राज्यपाल ‘पत्रधार’ नजर आ रहे हैं. निर्देश आलाकमान से मिल रहे हैं और कदम उठाने की भूमिका राज्यपाल अदा कर रहे हैं. यह पूछने पर कि क्या राष्ट्रपति से मुलाकात करना पार्टी के पास उपलब्ध आखिरी विकल्प था, उन्होंने कहा कि प्रतिभा पाटिल के समक्ष इस मुद्दे को रेखांकित करना जरूरी था.
नायडू ने कहा, ‘मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या कांग्रेस यह मिसाल कायम करना चाह रही है कि किसी भी राज्य के राज्यपाल महज कुछ शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री पर अभियोजन चलाने का आदेश दे सकते हैं.’ उन्होंने आगाह किया कि अगर कांग्रेस और केंद्र ‘विवेक का इस्तेमाल किये बिना’ राज्यपाल को समर्थन देना जारी रखेगा, तो देश भर में अराजक स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
नायडू ने कहा, ‘अगर राज्यपाल इस तरह से शासन करना चाहेंगे, जनादेश के खिलाफ जायेंगे और अपना संवैधानिक कर्तव्य अदा नहीं करेंगे तो देश भर में अराजक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी.’