इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भट्टा परसौल भूमि अधिग्रहण मामले की सीबीआई जांच की इजाजत देने से इनकार कर दिया.
उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर जिले के भट्टा परसौल गांव में पिछले साल सात मई को भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान ग्रामीणों और पुलिस के बीच गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
हालांकि, अदालत ने उम्मीद जताई कि उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के चलते सीबी-सीआईडी निष्पक्ष जांच करने में सक्षम होगी.
अदालत ने राज्य सरकार से वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति गठित करने को कहा, जो जांच की निगरानी करेगी और चार महीने अंदर एक प्रगति रिपोर्ट सौंपेगी.
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की सदस्यता वाली खंड पीठ ने भट्टा परसौल गांव के सतीश कुमार और अन्य निवासियों की एक रिट याचिका पर यह आदेश जारी करते हुए कहा, ‘हमें नहीं लगता कि स्थानीय लोगों को जांच की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं करना चाहिए.’ पीठ ने कहा, ‘हाल ही में सम्पन्न हुए चुनाव के बाद राज्य में नयी सरकार का गठन हुआ है और प्रशासन के पद सोपान में भी बदलाव हुआ है. उम्मीद है कि सीबी-सीआईडी निष्पक्ष तरीके से जांच करेगी और इसे चार महीने के अंदर अंतिम रूप देगी.’
अदालत ने राज्य सरकार से वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति गठित करने को भी कहा, जो समय-समय पर जांच की प्रगति का निरीक्षण कर सकती है. गौरतलब है कि ग्रामीण तत्कालीन मायावती सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा के विकास के लिए गांव की जमीन अधिग्रहित किए जाने का विरोध कर रहे थे. इस घटना में दो पुलिसकर्मी सहित चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. घायलों में तत्कालीन जिलाधीश भी शामिल थे.
इस घटना ने एक बड़े राजनीतिक विवाद का उस वक्त रूप धारण कर लिया जब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने गांव का दौरा किया और कहा कि ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आंदोलनकारियों पर हमला करने वाले पुलिसकर्मियों ने कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न भी किया है.
नोएडा की एक अदालत के आदेश के बाद इस सिलसिले में एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी.