कांग्रेस ने भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन सीईओ वारेन एंडरसन के देश से भागने के लिए सर्वांगी असफलता (सिस्टेमिक फेलियर) को दोषी ठहराया और कहा कि एक दूसरे पर उंगली उठाने की बजाय इसे सुधारने का प्रयास होना चाहिए.
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा ‘यह एक सर्वांगी असफलता है और इसमें सुधार लाने की जरूरत है. अगर हम आरोप प्रत्यारोप के खेल में लग जाये तो उसका कोई अंत नहीं होगा. मैं भाजपा से भी सवाल कर सकता हूं कि उसने दाओ से एक लाख रूपये का चंदा लिया, जो चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल उसके हलफनामे में दर्ज है.’ तिवारी की यह टिप्पणी उस समय आयी है जब टीवी चैनलों ने भोपाल गैस कांड के तीन दिन बाद सात दिसम्बर 1984 को यूनियन कार्बाईड कंपनी के प्रमुख के देश छोड़ने के पहले एंडरसन और अर्जुन सिंह के बयानों को फिर से प्रसारित किया है.
इन बयानों के बारे में पूछे जाने और साथ ही यह पूछे जाने पर कि क्या केन्द्र सरकार इससे अवगत है तिवारी ने कहा ‘मैं निष्कर्षों को पूरी तरह से खारिज करता हूं. किसी भी अभियुक्त को उन्मुक्त छोड़ने की केन्द्र सरकार की कभी कोई मंशा नहीं रही है.’
तिवारी ने कहा कि मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है जो इस मुद्दे से जुड़े सारे तथ्यों को देखेगा. तिवारी ने इस बात से भी इंकार किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एंडरसन के भागने के बारे में कोई जानकारी थी. उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति पर इस तरह का लांछण लगाना उचित नहीं है जिसने एक महीने पहले ही अपनी मां को खोया था और कुछ वर्ष बाद अपनी जान भी गवां दी थी. उन्होंने एंडरसन मुद्दे पर उंगली उठाने के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए सवाल किया कि आखिर तब के एटार्नी जनरल ने अपनी राय क्यों बदली थी.
उन्होंने कहा कि भोपाल गैस कांड के बाद पिछले 26 वर्ष में केन्द्र में आठ सरकारें आयी और देश विदेश के अनेक गैर सरकारी संगठनों के साथ उसने इस मामले को आगे बढाया. इसके बाद भी अगर देश यह महसूस करता है कि न्याय नहीं मिला है तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि यह सर्वांगी मुद्दा है जिसे हल किये जाने की आवश्यकता है.