सरकार ने 1984 के भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए मुआवजे को 750 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7700 करोड़ रुपये करने के लिए आज उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाई.
इस भयावह हादसे में यूनियन कार्बाइट की फैक्टरी से जहरीली गैस के रिसाव से 5000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी और बाद की पीढ़ियां भी इसका दंश झेल रहीं हैं.
गैस त्रासदी की 26वीं बरसी के मौके पर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने एक उपचारात्मक याचिका दाखिल कर शीर्ष न्यायालय के 14 फरवरी 1989 को मुआवजा राशि 47 करोड़ डॉलर (750 करोड़ रुपये) तय करने के फैसले और इसके बाद 15 फरवरी व चार मई को भुगतान के तरीके आदि पर दिये गये फैसले पर पुनर्विचार की मांग की.
शीर्ष न्यायालय ने तीन अक्तूबर 1991 को अपने फैसलों और आदेशों की समीक्षा करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज भी कर दिया था.
दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के पीड़ितों के कानूनी संरक्षक के तौर पर केंद्र ने याचिका दाखिल की, जिसमें यूनियन कार्बाइड कापरेरेशन, डाउ केमिकल्स कंपनी, मैकलाड रशेल इंडिया से अतिरिक्त मुआवजे के भुगतान की मांग की गयी. मैकलाड रशेल इंडिया को अब एवरेडी इंडस्ट्रीज के नाम से जाना जाता है वहीं डाउ केमिकल्स के पास 2001 से यूनियन कार्बाइड का स्वामित्व है.
एटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने उपचारात्मक याचिका में दलील दी है कि शीर्ष न्यायालय ‘तथ्यों की गलत धारणाओं के आधार पर’ 47 करोड़ डॉलर के आंकड़े पर पहुंचा था.