विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड का फैसला आने के दो दिन बाद मध्यप्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय किया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान फैसले को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि गैस पीडितों को न्याय दिलाने के लिये सरकार ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है और इसके सभी कानूनी पहलुओं पर अध्ययन के लिये एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है.
उन्होंने बताया कि इस समिति में महाधिवक्ता आर.डी.जैन, पूर्व महाधिवक्ता विवेक तनखा एवं आनंद मोहन माथुर, प्रमुख सचिव विधि ए.के. मिश्रा तथा शांतिलाल लोढा हैं. प्रमुख सचिव विधि समिति के संयोजक रहेंगे.
उन्होने बताया कि समिति से अपनी प्रारंभिक अनुशंसा 10 दिन में और अंतिम प्रतिवेदन एक माह के भीतर देने को कहा गया है ताकि निर्धारित 90 दिन के भीतर फैसले को चुनौती दी जा सके.
इस मामले में केन्द्र सरकार और सीबीआई की नीयत पर शंका जताते हुए चौहान ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने गैर इरादतन हत्या की धाराओं को लापरवाही में बदला था तब केन्द्र सरकार और सीबीआई ने इसके लिये पुनर्विचार याचिका दायर क्यों नहीं की थी. उन्होने कहा कि इसी प्रकार यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण के प्रयास भी कागजी रहे तथा कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गये.
विधिवेत्ताओं से हुई चर्चा का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि (धारा 71 भादंवि) प्रत्येक मृत्यु के लिये धारा 304 ए का एक पृथक अपराध निर्मित होता है और प्रत्येक ऐसे अपराध के लिये दो दो साल के हिसाब से दोषियों को काफी लंबी सजा दी जा सकती है जो आजीवन कारावास से भी अधिक हो सकती है.
उन्होने कहा कि मामला सीबीआई का है इसलिये सजा बढाने के लिये अपील सीबीआई को ही करना चाहिये लेकिन अब धारा 372 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान में संशोधन हो जाने के बाद सजा बढवाने के लिये अपील पीडित पक्ष भी कर सकता है और चूंकि इस मामले में पीडित पक्ष जनता है और राज्य सरकार जनता का प्रतिनिधित्व करती है इसलिये वह दोषियों को सजा बढवाने से पीछे नहीं हटेगी.
एक प्रश्न के उत्तर में चौहान ने कहा कि चूंकि सीबीआई ही इस मामले को देख रही थी इसलिये राज्य सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया था लेकिन अब निराशाजनक फैसला आने के बाद सरकार ने फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया. गैस कांड के दौरान भारत आये एंडरसन को तत्कालीन सरकार द्वारा छोड दिये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका उत्तर केन्द्र सरकार को ही देना होगा कि एंडरसन को उस समय क्यों जाने दिया गया.
उन्होने कहा कि हमें इस बात का अफसोस है कि गैस कांड के सबसे बडे दोषी को हम सजा नहीं दिला पाये.