भूटान में लोग एक आम लड़की के महारानी बनने के गवाह बने. इस ऐतिहासिक मौके पर भूटानवासियों की आखें खुशियों से लबरेज थीं क्योंकि वे अपने चहेते राजा जिग्मे खेशर नामग्याल वांगचुक और उनकी ‘सपनों की रानी’ जेटसन पेमा को सदा के लिए एकदूजे का होते देख रहे थे.
इस शाही शादी में मानो समूचा भूटान झूम रहा था. प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से तालीम हासिल करने वाले नरेश वांगचुक और पेमा बचपन के दिनों के दोस्त हैं. नरेश उस वक्त पेमा को अपना दिल दे बैठे थे, जब वह महज 17 साल के थे. वर्षों पुराना यह प्यार सात जन्मों के बंधन में तब्दील हो गया.
इस अवसर पर दोनों की आखों में अपार हर्ष देखा जा सकता था. 21 साल की पेमा की तालीम भारत में हुई है. खराब मौसम के बावजूद इस शाही शादी में भाग लेने और उसे देखने के लिए महिलाओं और बच्चों समेत देश के कोने-कोने से हजारों लोग सुबह चार बजे से ही किले के बाहर जमा होने शुरू हो गए थे.
नरेश का विवाह राजधानी थिंपू से करीब 71 किलोमीटर दूर पुंखा शहर में 17वीं शताब्दी के एक किले में संपन्न हुआ. राजसी विवाह को यहां के करीब सात लाख लोगों ने अपने घरों में टेलीविजन पर देखा. इसका ‘भूटान ब्राडकास्टिंग सर्विस टीवी’ पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
विवाह भूटानी बौद्ध परंपराओं के अनुसार हुआ. शाही शादी गुरुवार सुबह चार बजे ब्रह्म मुहुर्त में 100 बौद्ध भिक्षुओं की विशेष प्रार्थना के साथ आरंभ हुई. प्रार्थना मुख्य बौद्ध पुरोहित जे. खेनपो की देखरेख में हुई. भूटान नरेश 31 वर्षीय वांगचुक सुबह करीब आठ बजकर 20 मिनट पर प्रधानमंत्री जिग्मी वाई. थिनले और शाही भूटान पुलिस प्रमुख के साथ अपने महल से निकलकर सीधा विवाह स्थल पर पहुंचे.
नरेश का विवाह राज परिवार के जिस किले में हो हुआ, वह दो नदियों फोचु (पिता नदी) और मोचु (माता नदी) के बीच बना हुआ है. भूटान के मुख्य भिक्षु जे. खेनपो ने शादी समारोह की रीतियों को आगे बढ़ाया. विवाह की कई रस्म संपन्न होने के बाद 31 वर्षीय नरेश वांगचुक ने पीले रंग के जैकेट और स्कर्ट में सजी पेमा को मुकुट पहनाया.
इसके बाद उन्हें ‘भूटान की महारानी’ के खिताब से नवाजा गया. पेमा आधिकारिक तौर पर भूटान की महारानी घोषित कर दी गईं. भूटान की राजसी परंपराओं के अनुसार महारानी पेमा ने नरेश वांगचुक को तीन बार साष्टांग प्रणाम किया. उनका अभिवादन स्वीकार करते हुए नरेश मुस्कुरा उठे. इस रस्म के बाद दोनों को एक पेय दिया गया. मान्यताओं के अनुसार यह नवविवाहित जोड़े की दीर्घायु के लिए दिया जाता है.
नरेश की शादी के जश्न में भूटान में भारत के राजदूत पवन के. वर्मा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम. के. नारायणन और राज परिवार के सदस्यों समेत करीब 300 मेहमानों ने हिस्सा लिया. भूटान नरेश वांगचुक की शादी सुबह चार बजे से शुरू होकर करीब दो घंटे तक चली. इसके बाद उन्हें और पेमा को पति-पत्नी घोषित कर दिया गया.
शादी की रस्में पूरी होने के बाद दोनों बौद्ध मठ में विशेष रूप से व्यस्थित कक्ष में कैमरे के सामने आए. शादी के बाद नरेश और महारानी ने किले के बाहर एक मैदान में जमा हजारों लोगों के साथ मिलकर नृत्य किया और अपनी शादी की खुशियां उनके साथ बांटी. शादी के जश्न में आए लोगों को भूटान की 20 घाटियों से आए 60 बेहतरीन रसोईयों के हाथों का बना हुआ पारंपरिक भूटानी भोजन परोसा गया. इस शाही दावत में कुछ भारतीय पकवान भी शामिल किये गये थे.
इस शाही शादी के बाद शाही जोड़ा सड़क मार्ग से पुंखा से थिंपू जाएगा. पूरे रास्ते उन्हें देखने ओर उनका स्वागत करने के लिए लोगों के जुटने की संभावना है. अपने सादगी और सरल प्रवृति के लिए मशहूर वांगचुक छह नवंबर 2008 में भूटान के राजा बने. उन्हें राजधानी की सड़कों पर साइकिल चलाना और लोगों को अपने घर चाय पर बुलाना बहुत पसंद है. आमतौर पर राजपरिवारों में ऐसा नहीं होता है. उनकी सादगी ही लोगों के दिलों में उनके लिए खासा अहम स्थान बनाती है.