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अब सामने आया यूएवी की खरीद में घोटाला

सेना को नई ताकत और धार देने वाले मानव रहित विमान-यूएवी की खरीद में बड़ा घोटाला सामने आया है. यूवीए को इजरायल से खरीदा गया था.

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यूएवी की खरीद में घोटाला
यूएवी की खरीद में घोटाला

सेना को नई ताकत और धार देने वाले मानव रहित विमान-यूएवी की खरीद में बड़ा घोटाला सामने आया है. यूवीए को इजरायल से खरीदा गया था.

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वीडियो: नासिक में भी सामने आया 'आदर्श' जैसा घोटाला  

यूएवी की खरीद से जुड़ी जो खबरें आ रही हैं, वो घोटाले के आरोपों से घिरे यूपीए सरकार में एक और बदनुमा दाग बन सकती है. ये दाग लग रहे हैं सीएजी की एक रिपोर्ट से. कैग ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी एनटीआरओ में हजार करोड़ रुपए के घोलाटे का खुलासा किया है.

 पढ़ें: स्पेक्ट्रम घोटाला: दागने को तैयार | घोटाला वर्ष 2010

हजार करोड़ में 450 करोड़ की डील अकेले मानव रहित विमान की है. मानव रहित विमान खरीदने की ये डील नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने की थी. नियम के मुताबिक एनटीआरओ को 20 करोड़ से ज्यादा की डील के लिए सीसीएस यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी से इजाज़त लेनी होती है. सीसीएस ने इस डील के लिए 300 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी, लेकिन एनटीआरओ ने इसे खरीदा 450 करोड़ रुपए में.

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यानी सीसीएस की मंजूरी के बिना ही डील का बजट 150 करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया. सीधा 150 करोड़ रुपए की लूट.

इस डील में सिर्फ 150 करोड़ का ही घोटाला नहीं हुआ है. इस खरीद में देश की सुरक्षा को भी ताक पर रखा गया. मानव रहित जो विमान इजरायल से खरीदे गए, उसे भारतीय सैटेलाइटों से जोड़कर जांचा तक नहीं गया. खरीदने के बाद खुलासा हुआ कि खरीदे गए यूएवी भारतीय इलाके में कारगर नहीं हैं. यानी इस डील में पूरे के पूरे 450 करोड़ रुपए स्वाहा हो गए.

इसके अलावा भी एनटीआरओ की भर्ती प्रकिया और वित्तीय कामकाज में भी शीर्ष अधिकारियों की तरफ से गड़बड़ी की कई बातें सामनें आई हैं. शायद ये बातें कभी सामने न आ पातीं क्योंकि एनटीआरओ को मिलने वाले फंड के ऑडिट का अधिकार किसी को नहीं है, लेकन जब इस ऑर्गेनाइज़ेशन में गड़बड़ी की खबरें आईं, तो प्रधानमंत्री की दखल के बाद पहली बार ऑडिट के निर्देश दिये गये.

इसी ऑडिट से एनटीआरओ के शीर्ष अधिकारियों का घोटाला सामने आया. ये रिपोर्ट अब सरकार के गले की हड्डी बन गई है. बजट सत्र से पहले ही ये रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच गई थी, लेकिन अबतक सरकार ने इसे संसद में पेश नहीं किया.

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इससे साफ है कि इस रिपोर्ट पर सरकार कितनी गंभीर है. हैरानी की बात है कि जिस सौदे में देश की सुरक्षा दांव पर लगा दी गई हो, उसमें जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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