बिहार को हर साल तीस हजार करोड़ रूपये का विशेष पैकेज के लिए संविधान में संशोधन करने की मांग केन्द्र सरकार ने ठुकरा दी.
लोकसभा में ऐसा प्रावधान करने वाले जनता दल यू के प्रोफेसर रंजन प्रसाद यादव के निजी विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि केन्द्र बिहार को उसकी जरूरतों के अनुरूप सहायता मुहैया करा रहा है, इसलिए उसे विशेष पैकेज दिए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है.
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की कई सदस्यों की मांग को भी अस्वीकार करते हुए मीणा ने कहा कि ऐसा केवल दुर्गम क्षेत्र, आबादी के कम घनत्व और आदिवासी बहुल राज्यों के लिए ही किए जाने का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि इस बात को देखते हुए कि बिहार को विशेष पैकेज देने के लिए संविधान में संशोधन करने की कोई जरूरत नहीं है. मीणा ने हालांकि कहा कि बिहार की विशेष जरूरतों का ध्यान रखने के लिए अंतर मंत्रालय समूह विचार कर रहा है और उसमें सदस्यों की सभी मांगों की भी पड़ताल की जाएगी. मंत्री के आश्वासन तथा आग्रह पर प्रोफेसर यादव ने अपना विधेयक वापस ले लिया.
इससे पहले विधायेक पर चर्चा को आगे बढाते हुए जदयू के अर्जुन राय ने बिहार की उपेक्षा के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि बिहार हर मोर्चे पर अंतिम पायदान पर है और यह बिहार के लिए नहीं बल्कि देश के लिए चिंता का विषय है.
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आज देश के अन्य राज्यों में प्रति व्यक्ति सालाना आय 44-45 हजार रूपये तक है लेकिन बिहार में यह आंकड़ा मात्र 11 हजार रूपये का है.
राजद के डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस निजी विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि वर्ष 2000 में बिहार का बंटवारा करते समय तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पैकेज दिए जाने का वादा किया था लेकिन आज दस साल का समय बीत जाने के बावजूद राज्य को एक नया पैसा नहीं दिया गया.
जद यू के मंगनी लाल मंडल ने साल 2000 में बिहार के विभाजन के बाद राज्य की खराब आर्थिक स्थिति के मद्देनजर भारत की संचित निधि से राज्य को प्रति वर्ष 30 हजार करोड़ रूपये की एकमुश्त राशि प्रदान किये जाने के लिए संविधान में संशोधन करने संबंधी इस विधेयक को मंजूरी प्रदान किये जाने की अपील की.
इसी दल के महाबली सिंह, भूदेव चौधरी और मोनाजिर हसन ने भी चर्चा में भाग लिया. राजग के जगदानंद सिंह ने साल 2000 में बिहार से एक धनाढय क्षेत्र के अलग हो जाने से उत्पन्न स्थति के मद्देनजर विशेष पैकेज दिये जाने की मांग की.