उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भारत सरकार से अधिक से अधिक मदद की अपील करते हुए कहा कि केंद्रीय मदद नहीं मिली तो अपने संसाधनों के बल पर 25 साल में भी बिहार विकसित राज्य नहीं बन पायेगा.
बिहार विनियोग (संख्या 2) विधेयक पर चर्चा के बाद जवाब देते हुए मोदी ने विधानसभा में कहा, ‘1951 से लेकर आज तक बिहार के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है. संसाधनों के अभाव वाले राज्य बिहार को केंद्रीय मदद की दरकार है. बिहार को अन्य राज्यों के समकक्ष करने के लिए केंद्रीय मदद नहीं मिली तो अपने संसाधनों के बूते 25 वर्ष में भी विकसित राज्यों की कतार में शामिल नहीं हो पायेगा.’
उन्होंने कहा कि 10वीं और 11वीं पंचवर्षीय योजना में बिहार को 1500 से 2000 करोड़ प्रतिवर्ष की मदद मिली थी. बीआरजीएफ के तहत केंद्र को 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी प्रतिवर्ष 4000 करोड़ देना चाहिए. 2012-13 में केंद्रीय करों में से हिस्से के रूप में बिहार को 33126 करोड रुपये मिलने है. इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
मोदी ने राज्य की सभी पार्टियों से अपील की कि वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और 12वीं पंचवर्षीय योजना में चार हजार करोड रुपये प्रतिवर्ष के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाये. योजना आयोग के अंतरमंत्रालय समूह के समक्ष विशेष राज्य का दर्जा के लिए अधिकारियों ने तथ्य और तर्क के साथ अपना पक्ष रखा है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की सरकारों ने हमेशा से बिहार के साथ योजना आकार में जरूरत के हिसाब से मदद नहीं की. केंद्र का पूंजी निवेश के अभाव में बिहार लगातार पिछड़ता गया. राष्ट्रीय औसत के हिसाब से अन्य राज्यों की तरह केंद्र में बिहार में खर्च किया होता तो राज्य विकास के मानकों में इतना पिछड़ा नहीं रहता.
मोदी ने कहा कि बिहार के साथ भेदभाव हुआ है. 10वीं और 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 9156 करोड़ रुपये समविकास योजना (बीआरजीएफ) के तहत मिलना था, लेकिन 7296 करोड रुपये ही मिले. राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग के पुनरीक्षित प्राक्कलन के तहत, गंगा नदी पर सड़क सह रेल पुल को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 तथा 98 से जोड़ने के लिए पुनरीक्षित प्राक्कलन सहित बिहार को केंद्र 3192 करोड रुपये मिलने हैं. राज्य में योजनाओं को पूर्ण करने के लिए केंद्र को यह राशि जल्दी देनी चाहिए. बाद में सदन ने वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान विकास कार्य के लिए खर्च करने के लिए विनियोग (संख्या 2) विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. बिहार का बजट 24 फरवरी को पेश किया गया था. बजट में 79055 करोड रुपये का प्रावधान किया गया है. विभिन्न विभागों की मांगों पर चर्चा के बाद विनियोग विधेयक पारित कर दिया गया.
वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान बिहार का योजना आकार 28 हजार करोड रुपये तय किया गया है। 79055 करोड़ रुपये में से गैर योजना मद में 45691.74 करोड, केंद्र प्रायोजित योजना में 5255 करोड खर्च होंगे.
वहीं, वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान योजना आकार की राशि 28 हजार करोड रुपये में से 13.11 फीसदी शिक्षा पर और पथ निर्माण पर 12.91 फीसदी राशि खर्च की जाएगी.