बिहार की एक स्थानीय अदालत ने राज्य सरकार द्वारा नेपाल के 11 माओवादियों पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने के अनुरोध पर फैसला सुनाते हुए सभी नेताओं को आरोपों से बरी कर दिया.
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-9 बशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार सरकार के आवेदन पर फैसला सुनाते हुए नेपाल के 11 माओवादी नेताओं को आरोपों से बरी कर दिया. राज्य सरकार ने भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के फैसले के तहत 11 नेपाली माओवादियों नेताओं के खिलाफ चल रहे मुकदमों को वापस लेने का अनुरोध अदालत से किया था.
बीते एक फरवरी को बिहार सरकार ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 के तहत अदालत में आवेदन देकर कहा था कि 11 नेपाली माओवादियों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को सरकार वापस लेना चाहती है.
लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने अदालत में सरकार की ओर से आवेदन दिया था. सीआरपीसी की धारा 321 के अनुसार फैसला आने के पहले कोई भी अभियोजन पक्ष अदालत की सहमति से समयपूर्व मुकदमे को वापस ले सकता है.
नेपाल के 11 माओवादियों के खिलाफ भारत और तत्कालीन नेपाल सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप था. मई 2004 में पटना में माओवादी नेता सीबी श्रेष्ठ, लोकेंद्र बिष्ट, कुल बहादुर, कुमार दहल, हित बहादुर तमांग, अनिल शर्मा, दिलीप महारजन, रंजू थापा, सुमन तमांग, श्याम किशोर प्रसाद यादव और मीन प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था.
लेकिन जमानत मिलने के बाद अदालत में उपस्थित नहीं होने पर दिसंबर 2006 में सभी 11 के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. इनमें से कई अब नेपाली संसद के सदस्य बन चुके हैं. इस विषय को लेकर बीते वर्ष नेपाली संसद में काफी हंगामा भी हुआ था.