एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट (एबीसी) और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) ने लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाले बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) पर वित्तीय अनिमियताओं का आरोप लगाया है.
इन संगठनों का कहना है कि बीसीसीआई ने 2008 में राज्य में क्रिकेट के विकास के लिये जो 50 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में दी थी उसमें गड़बड़ी की गयी. सी ए बी के अध्यक्ष आदित्य वर्मा और ए बी सी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेमरंजन पटेल ने राज्य सरकार से 50 लाख रुपये की कथित गड़बड़ी की निगरानी विभाग से जांच की मांग की है, क्योंकि बी सी ए भी राज्य में पंजीकृत संस्था है.
पटेल ने कहा कि राज्य में क्रिकेट के आधारभूत ढांचे के लिये जो पैसा मिला था, बी सी ए ने उसमें गड़बड़ी की क्योंकि उसने इसका कोई रिकार्ड नहीं रखा कि इस पैसे को कैसे खर्च किया गया. भाजपा विधायक पटेल ने कहा कि वो इस मुद्दे को बिहार विधानसभा में उठायेंगे, मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे और इसकी निगरानी जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग करेंगे.
एबीसी के महासचिव मिथिलेश तिवारी ने कहा कि 2008 में मिले 50 लाख रुपये का बंदरबांट हुआ है. अधिकतर पैसे मुकदमा लड़ने के लिए खर्च कर दिये गये हैं.
बीसीसीआई द्वारा भी भेदभाव किया जा रहा है और बिहार को बोर्ड ने पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा नहीं दिया है. तिवारी ने कहा कि देश के अन्य कई राज्यों में दो या तीन क्रिकेट संघों को बीसीसीआई ने मान्यता दी है. बिहार में भी एक से अधिक संघों को मान्यता दी जानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का मामला अभी अदालत में लंबित है. इसलिए राज्य में क्रिकेट खेल की गतिविधियां प्रभावित हैं.