बिहार के सभी दलों ने माओवादियों से तीनों बंधक पुलिसकर्मियों को छोड़ने की अपील की है.
बिहार के लखीसराय जिले के कजरा थानान्तर्गत शीतलाकोरासी पंचायत के रामटालनगर गांव के पास गत 29 अगस्त को हुई मुठभेड के बाद नक्सलियों द्वारा पुलिसकर्मियों के अपहरण से उत्पन्न स्थिति पर राज्य सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गयी.
बैठक के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि सभी दलों के प्रतिनिधियों ने इस मुठभेड़ में बंधक बनाए गए एक अन्य पुलिसकर्मी की शहादत के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की और माओवादियों से तीनों बंधक पुलिसकर्मियों को छोड़ देने की अपील की है.
बैठक में भाग लेने के लिए राजद, कांग्रेस, लोजपा, भाकपा-माले, बसपा, भाकपा, माकपा, राकांपा, जन विकास दल, जदयू और भाजपा को धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि बैठक के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक नीलमणि ने लखीसराय की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और इन दलों के प्रतिनिधियों ने अपने विचारों और दृष्टिकोण को रखा.
उन्होंने बताया कि सभी दल के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि माओवादी इस मसले पर सरकार से आमने-सामने बातचीत के लिये आयें और बात-चीत का परिणाम चाहे जो भी हो उन्हें किसी प्रकार की पुलिस कार्रवाई का सामना नहीं करना पडेगा बल्कि उन्हें सुरक्षित जाने दिया जाएगा.नीतीश ने कहा कि माओवादी निश्चिततापूर्वक यह तय कर लें कि उनके कौन प्रतिनिधि होंगे और उन्हें सुरक्षित लौटने का अवसर प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है कि किसी के द्वारा कोई टेलिफोन नंबर दिया जाए और उसके जरिए सरकार कोई बातचीत करे.
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्होंने टेलिफोन नंबर जारी किया है उनसे मीडिया के लोग बातचीत कर रहे हैं, लेकिन एक तो उन्हें कोई पहचानता नहीं है और दूसरी बात यह कि उन्होंने जो सूचना दी वह गलत साबित हुई.{mospagebreak}
उन्होंने कहा कि अविनाश द्वारा अवर निरीक्षक अभय यादव की हत्या कर दिए जाने की बात किए जाने पर शव एक अन्य अवर निरीक्षक लुकस टेटे का मिला. कुमार ने कहा कि लुकस टेटे का शव कल लगभग दिन के दस बजे बरामद हुआ पर उनके शव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी हत्या दस घंटे पूर्व यानी शुक्रवार सुबह की गयी थी.
नीतीश ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में अविनाश की बातों पर कैसे यकीन किया जाए और ऐसे में एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गयी सरकार जब बात करेगी तो आमने-सामने बात करेगी और सर्वदलीय बैठक में यही निर्णय हुआ है कि अगर वे बातचीत के लिए इच्छुक हैं तो आमने-सामने आकर बातचीत करने की पेशकश को स्वीकार करें.
उन्होंने कहा कि बातचीत का नतीजा चाहे जो कुछ भी निकले पर उसके लिए सामने आने वाले माओवादियों की सुरक्षित वापसी के वचन का अक्षरश: पालन होगा.