केंद्रीय पूल से पर्याप्त विद्युत आपूर्ति नहीं किए जाने से गर्मी के इस मौसम में बिहारवासी जहां अनियमित बिजली आपूर्ति से परेशान हैं वहीं केंद्र द्वारा केरोसिन के आवंटन में कटौती कर दिए जाने के बाद उसकी अनुपलब्धता से अब लोगों के समक्ष अपने घरों को रौशन करने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है.
बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने बताया कि केंद्र से बिहार को पहले ही आवश्यकता से कम प्रतिमाह छह करोड़ 93 लाख 28 हजार लीटर केरोसिन आवंटन हो रहा था. लेकिन वर्ष 2009-10 में इसमें और भी कटौती कर इसे प्रति माह छह करोड 87 लाख 28 हजार लीटर कर दिया गया. बिहार की वर्तमान में केरोसिन की प्रतिमाह आवश्यकता नौ करोड़ 30 लाख लीटर है.
रजक ने बताया कि 23 फरवरी 2010 को प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा को इस संबंध में एक पत्र लिखकर बिहार के लिए केरोसिन आवंटन में 34 प्रतिशत वृद्धि किए जाने का अनुरोध किया था.
उन्होंने कहा कि लक्षित जन वितरण प्रणाली व्यवस्था लागू किए जाने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले :बीपीएल: परिवारों की पहचान और उनकी संख्या निर्धारित करने का काम शुरू हुआ.
रजक ने कहा कि पूर्व में इस सर्वेक्षण का कार्य सम्यक रूप से या तो पूर्ण नहीं हो सका या न्यायालय के आदेशों के कारण अवरूद्ध रहा इसलिए वर्ष 2007 में राज्य सरकार ने राज्य में गरीब परिवारों का नये सिरे से सर्वेक्षण कराया.
बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक ने बताया कि इस सर्वेक्षण के प्रारांभिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में गरीब परिवारों की कुल संख्या 1.22 करोड़, कुल परिवारों की संख्या लगभग 2.23 करोड़ तथा परिवार के सदस्यों की औसत संख्या 6.16 से घटकर 4.38 पाई गई. उन्होंने बताया कि इन आंकड़ों के उपलब्ध होने के बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से न केवल इस वृद्धि के अनुरूप ही खाद्यान्न एवं केरोसिन के आवंटन का आग्रह किया बल्कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से भी इस संबंध में केंद्र से अनुरोध किया गया. लेकिन केंद्र सरकार लगातार यही कहती रही कि उसके आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में मात्र 65.23 लाख बीपीएल परिवार हैं.
रजक ने कहा कि केंद्र सरकार अपने आंकड़ों के बारे में यह तर्क देती आई है कि इसका आधार वर्ष 2000 की आबादी का अनुमान और वर्ष 1994-95 में योजना आयोग द्वारा तय किए गए गरीबी के अनुमान हंै.
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी परिवारों की केरोसिन पर निर्भरता एक सर्वविदित तथ्य है, इसके बावजूद राज्य के सभी परिवारों के लिए केंद्र सरकार से आवश्यक मात्रा में इसका आवंटन नहीं मिला जिससे वर्ष 2008 में राज्य को उपलब्ध आवंटन के अनुरूप लाभार्थी परिवारों को दी जाने वाली केरोसिन की मात्रा का युक्तिकरण करना आवश्यक हो गया था.
रजक ने कहा कि इसी क्रम में राज्य सरकार न सभी ग्रामीण परिवारों को प्रति माह तीन लीटर तथा शहरी परिवारों को प्रति माह 2.5 लीटर केरोसिन का आवंटन करने का निर्णय किया.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह मांग रही है कि केरोसिन के आवंटन में कम से कम 34 प्रतिशत की वृद्धि की जाए ताकि राज्य के सभी परिवारों को उपयुक्त मात्रा में केरोसिन उपलब्घ कराया जा सके.
बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि राज्य की संपूर्ण परिवारों की संख्या के आधार पर केरोसिन के आवंटन में वृद्धि के राज्य सरकार के अनुरोध पर कोई सकारात्मक रुख अपनाने के बजाय केंद्र ने केरोसिन का आवंटन और भी घटाकर वर्ष 2009-10 से इसे छह करोड़ 87 लाख 28 हजार लीटर कर दिया. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार केरोसिन आवंटन में की गयी कटौती के बारे में तर्क देती है कि राज्य में एलपीजी वितरण में वृद्धि के उपरांत केरोसिन की मांग में कमी होनी चाहिए और इसी को ध्यान में रखकर यह कटौती गयी है.
रजक ने कहा कि बिहार में एलपीजी वितरण की भी बात करें तो यह सर्वविदित तथ्य है कि राज्य में यह वृद्धि देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है.
उन्होंने कहा कि बिहार में एलपीजी की वाषिर्क उपलब्धता प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत 9.24 किलोग्राम की तुलना में मात्र 2.43 किलोग्राम है जबकि प्राप्त सूचनानुसार गुजरात, महाराष्ट्र एवं दिल्ली जैसे राज्यों में बिजली एवं एलपीजी की औसत उपलब्धता काफी होने के बावजूद जनवितरण प्रणाली के तहत केरोसिन की उपलब्धता बिहार की तुलना में काफी ज्यादा है. दिल्ली में प्रति व्यक्ति प्रति माह इसकी उपलब्धता करीब 20 लीटर है.
रजक ने बताया कि इस बीच वर्ष 2007 के सर्वेक्षण के उपरांत आपत्तियों के निराकरण के उपरांत यह पता चला कि बिहार में परिवारों की संख्या में और भी वृद्धि हुई है.
बिहार के खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि बिहार में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या तकरीबन 1.37 करोड़ तक पहुंच चुकी है और राज्य में संपूर्ण परिवारों की संख्या 2.45 करोड़ के लगभग हो गयी है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 के सर्वेक्षण के उपरांत आपत्तियों के निराकरण के बाद यह भी पता चला कि राज्य में परिवारों के सदस्यों औसत संख्या अब 3.98 हो गई है पर वर्तमान में प्राप्त हो रहे केरोसिन के आवंटन से यह संभव नहीं है कि पूर्व में प्रतिवार अनुमान्य मात्रा को बरकरार रखा जा सके.
रजक ने बताया कि पर राज्य ने प्रति व्यक्ति अनुमान्यता को बरकार रखते हुए अब राज्य के ग्रामीण परिवारों को 2.75 लीटर एवं शहरी परिवारों को 2.25 लीटर केरोसिन प्रति माह उपलब्ध कराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस रवैये से राज्य के सभी परिवारों को उनके लिए अनुमान्य केरोसिन की सुविधा से वंचित रहना पड़ता है और इस व्यवस्था का राज्य सरकार लगातार प्रतिकार करती रही है.
बिहार को केंद्रीय पूल से निर्धारित 1772 मेगावाट बिजली में से वर्तमान में केवल 1180 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति की जा रही है जबकि राज्य की आवश्यकता करीब तीन हजार मेगावाट की है.
केंद्रीय पूल से कम विद्युत आपूर्ति के कारण वर्तमान में गांव तो दूर, शहरों में भी आवश्यकतानुसार बिजली आपूर्ति करने में बिहार राज्य विद्युत बोर्ड अपने को अक्षम महसूस कर रहा है.
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली उपलब्धता की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के 13048 गांवों में बिजली पहुंच चुकी है 23211 गांव अभी भी बिजली से वंचित हैं और उनकी पूरी तरह निर्भरता केरोसिन पर ही है.