राजधानी पटना की बढ़ती आबादी और उसके अनुरूप सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं होने से लोगों को जो परेशानी हो रही है, उससे निजात दिलाने के लिए बिहार सरकार ने अन्य महानगरों की तर्ज पर मेट्रो रेल सेवा शुरू करने की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है.
नगर विकास और आवास मंत्री प्रेम कुमार ने बताया, ‘‘ राजधानी में हम परिवहन की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जल्द से जल्द मेट्रो रेल सेवा शुरू करना चाहते हैं. योजना आयोग के साथ इस संबंध में हाल में विस्तार से चर्चा हुई. सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) से पूरी होने वाली इस परियोजना की अनुमानित लागत 8000 करोड़ रुपये है.’’
उन्होंने कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के परामर्शदाता गजेंद्र हल्दिया से बीते 14 सितंबर को नगर विकास और आवास विभाग के अधिकारियों की विस्तार से चर्चा हुई है, जिसमें दो मार्गों पर मेट्रो चलाने की सहमति दी गयी.
मेट्रो परियोजना के पूरे होने की संभावित समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘अभी तो शुरुआत भर है. हम जल्द से जल्द परियोजना को शुरू कर पूरा करना चाहेंगे.’’
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने हेतु एजेंसी के चयन के बारे में पूछे जाने पर प्रेम कुमार ने कहा, ‘‘अभी इसका फैसला नहीं हुआ है. पहले प्रस्ताव के लिए यह मामला राज्य के कैबिनेट के पास जाएगा. उसके बाद ही कोई फैसला होगा.’’
राज्य सरकार ने आवाजाही के लिए दो व्यस्ततम मार्ग तय किये है, जिन पर ट्रैफिक का बोझ सबसे अधिक रहता है. इन दो मार्गों पर मेट्रो का कार्य दो चरणों में पूरा होगा. 20-20 किलोमीटर की रेल लाइन दो चरणों में पूरी होगी. मंत्री ने बताया कि पहले चरण में 20 किलोमीटर लंबे पटना से दानापुर मेट्रो रेलमार्ग पर काम होगा, जबकि दूसरे चरण में पटना जंक्शन को जोड़ते हुए दीघा तक काम शुरू किया जाएगा.
मेट्रो रेल परियोजना के शुरुआती कदम के तहत योजना आयोग की टीम ने संभावित रूटों का जायजा लिया और सर्वे कराने के कार्य को हरी झंडी दी. सर्वे के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए इस संबंध में जल्द राज्य कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव लाया जाएगा. पीपीपी आधारित इस परियोजना में लागत का बड़ा हिस्सा परियोजना कार्य में लगी कंपनी को पूरा करना होगा.
दूसरे बड़े कदम के तहत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होगी जिससे परियोजना की विस्तृत रुपरेखा के बारे में जानकारी मिल पायेगी. देश में कोलकाता के बाद दिल्ली मेट्रो रेल त्वरित सार्वजनिक यातायात प्रणाली (एमआरटीएस) नेटवर्क है.
केंद्र ने दो महानगरों चेन्नई और मुंबई के बाद बड़े शहरों हैदराबाद, बेंगलूर, जयपुर और कोच्चि में मेट्रो रेल परियोजनाओं को हरी झंडी दी है. इसके अलावा अहमदाबाद, अमृतसर, चंडीगढ़, लखनऊ में भी मेट्रो पर चर्चा हो रही है.
डीपीआर बनने के बाद ही पटना मेट्रो रेल सेवा के स्वरूप के बारे में कुछ विस्तार से जानकारी मिल पायेगी. उल्लेखनीय है कि दिल्ली में एमआरटीएस के अंतर्गत भूमिगत और उपरिगामी (ऐलवेटेड) दोनों प्रकार के मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन होता है.
प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य सरकार राजधानीवासियों को यातायात की बेहतर और सुगम सुविधा उपलब्ध कराना चाहती है जिसके तहत मेट्रो सेवा को धरातल पर उतारा जाएगा.
बीस लाख से अधिक आबादी वाले पटना शहर के लिए यातायात के वर्तमान सार्वजनिक साधन अपर्याप्त हैं. सड़कों पर रोजाना जाम और वाहनों के ध्वनि प्रदूषण से लोगों की परेशानी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. फिलहाल नगर विकास विभाग और आवास विभाग इस परियोजना के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट को प्राथमिकता मानकर अभियान में जुट गया है.
बीते वर्ष बिहार विधानसभा चुनावों में राजग गठबंधन और कांग्रेस ने मेट्रो रेल परियोजना को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटकों भाजपा और जदयू के अलावा कांग्रेस ने भी बेहतर नगर सुविधा उपलब्ध कराने का वादा करते हुए इसे प्रमुखता से अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था.